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Methods of Meditation: ध्यान लगाने से मिलते हैं अनेक फायदें जानें, क्या है इसका सही तरीका ?

Edited By Prachi Sharma,Updated: 29 Dec, 2024 08:19 AM

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ध्यान तो सुबह, शाम या राम में सोने से पहले कभी भी लगा सकते हैं, लेकिन बेहतर है कि सुबह करें और खाली पेट करें। महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग में ध्यान से पहले आसन और प्राणायाम का वर्णन किया है।

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Methods of Meditation: ध्यान तो सुबह, शाम या राम में सोने से पहले कभी भी लगा सकते हैं, लेकिन बेहतर है कि सुबह करें और खाली पेट करें। महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग में ध्यान से पहले आसन और प्राणायाम का वर्णन किया है। दरअसल, आसन से शरीर का रजोगुण शांत होता है और स्थिरता का भाव उत्पन्न होता है। इसके बाद प्राणायाम से प्राणों को संतुलित करना चाहिए। यानी इसलिए ध्यान से पहले 20-25 मिनट आसन और प्राणायाम करना अच्छा है। इसके बाद ध्यान लगाएंगे तो बेहतर तरीके से ध्यान लगा पाएंगे।अगर योग नहीं करना चाहते तो भी ध्यान से पहले सूक्ष्म क्रियाएं कर लेनी चाहिए। इससे शरीर की जड़ता दूर होती है और शरीर हल्का महसूस होता है।

शुरुआत में यह न सोचें कि इतनी देर ध्यान लगाना ही है। ध्यान लगाने की शुरुआत 2-5 मिनट से करें। फिर धीरे-धीरे वक्त बढ़ाएं। वैसे, सुबह और शाम 20-20 मिनट के लिए ध्यान करना बेहतर है, लेकिन अगर इतना वक्त नहीं है तो कम समय के लिए भी ध्यान कर सकते हैं।

सुबह नित्य क्रिया से निबटकर शांत जगह पर आसन बिछाएं और उत्तर या पूर्व की तरफ मुंह करके सुखासन में बैठ जाएं। जमीन पर बैठने में दिक्कत हो तो कुर्सी या सोफा पर भी बैठ सकते हैं। कमर और गर्दन सीधी करके बैठें। चेहरे पर सौम्य मुस्कान बनाकर रखें। इससे शांति का अहसास होगा।  

चाहें तो हल्की आवाज में इंस्ट्रूमेंटल म्यूजिक चला सकते हैं। ओम या फिर किसी मंत्र या शब्द का चयन कर उसे भी मन ही मन बार-बार दोहरा सकते हैं। इसका फायदा यह है कि इससे मन इधर-उधर भटकने के बजाय इसी शब्द या मंत्र पर केंद्रित रहता है।

फिर 2-3 बार धीमी और गहरी सांस लें। इसके बाद सामान्य रूप से सांस को आने और जानें दें। फिर सांस पर फोकस करें। विचार आएं तो परेशान न हों। विचार तो आएंगे ही। उन्हें झटके नहीं। सामान्य गति से आने-जाने दें। वैसे, ध्यान लगाना आसान नहीं है। एक्सपर्ट्स के अनुसार हम 12 सेकंड से ज्यादा ध्यान नहीं लगा पाते। इसके बाद हमारे दिमाग में विचार आने शुरू हो जाते हैं।

ध्यान से निकलने के लिए अलार्म का इस्तेमाल करें। 2-3  मिनट तक उसी स्थिति में रहें। धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आएं और आंखें खोलें।

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Benefits of meditation ध्यान के फायदे
नियमित रूप से ध्यान लगाने से कई फायदे होते हैं। 15-20 मिनट के मेडिटेशन से 6-7 घंटे की नींद जैसा फायदा होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार ध्यान या मेडिटेशन सेल्फ-केयर के साथ-साथ किसी भी इलाज में मददगार साबित होता है, खासकर एंग्जाइटी, डिप्रेशन, अनिद्रा जैसी समस्याओं में। अगर आप रोजाना कुछ देर (चाहे कुछ मिनट ही) मेडिटेशन करते हैं तो न सिर्फ मन शांत होता है, बल्कि फोकस भी बेहतर होता है।जानते हैं मेडिटेशन से मिलनेवाले फायदों के बारे मेंः

यह हमारे नर्वस सिस्टम को बैलेंस करता है।
यह मन को रिलैक्स कर हमारे पैरासिम्पेथेटिक सिस्टम को बेहतर बनाता है।
इससे हमारे सोचने-समझने की क्षमता बेहतर होती है।
यह पल्स रेट और हार्ट रेट को कम करता है।
यह वेग्स नर्व्स को स्टिमुलेट करता है।
ध्यान लगाने से नींद बेहतर होती है।
अल्जाइमर्स की रफ्तार को कम करती है।
इससे बेचैनी, घबराहट से लेकर कैंसर तक में राहत मिलती है।

तरह-तरह के ध्यान सांस पर फोकस
ध्यान लगाने के लिए सबसे आसान तरीका है अपने सांस पर फोकस करना। आंखें बंद कर चेहरे पर मुस्कान के साथ आराम से बैठ जाएं। सामान्य स्पीड से सांस लेना और छोड़ना है। सांस छोड़ने के साथ-साथ मन सांस लंबा और गहरा हो तो बेहतर है। 10-12 बार लंबी और गहरी सांस भरें व छोड़ें। फिर सामान्य रूप से आ-जा रहे सांस को महसूस करना है, बिल्कुल शांत भाव से। जब सांस अंदर लें तो मन को साथ-साथ अंदर ले जाएं, सांस बाहर निकालें तो मन को भी सांस के साथ बाहर ले जाएं। इससे मन धीरे-धीरे काफी शांत हो जाता है।

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Meditation with mantra मंत्र के साथ ध्यान
दूसरा तरीका है, ओम या किसी मंत्र के साथ ध्यान लगाना। इसके लिए आंखें बंद करके आराम से बैठ जाएं। फिर किसी मंत्र या ओम का 10-12 बार उच्चारण करें। उसके बाद मन में ही जाप करना शुरू करें। जब भी मन में कोई विचार आए, तब बोलकर जाप कर लें। फिर वापस मन में जाप करें। ऐसा करते रहेंगे तो एक समय ऐसा आएगा, जब मंत्र खो जाएगा और मन में शांति आएगी। कई बार ध्यान मंत्र से भटककर कई तरह के विचारों में चला जाएगा। इससे परेशान न हों और जबरन अपना दिमाग खाली करने की कोशिश न करें।

Sudarshan Kriya सुदर्शन क्रिया
आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा की जानेवाली सुदर्शन क्रिया सांसों की एक लयबद्ध शक्तिशाली तकनीक है। श्री श्री रविशंकर द्वारा ईजाद इस तकनीक में प्राकृतिक सांसों की लयोें के इस्तेमाल से तन, मन और भावनाओं को एक ताल में लाते हैं। इस तकनीक के पीछे सांसों का साइंस है। कहते हैं कि जब हम जिस भाव में होते हैं, वैसी ही हमारी सांसों की लय भी होती है। इसमें धीमी रफ्तार से लेकर तेज और बहुत तेज गति से सांस लेने की प्रक्रिया शामिल है। प्राणायाम और ध्यान को भी इसमें शामिल किया गया है। सुदर्शन क्रिया का हमारे तन-मन पर प्रभाव देखने के लिए एम्स में एक स्टडी की गई। स्टडी में पाया गया कि सुदर्शन क्रिया और उसके साथ किए गए प्राणायाम व क्रियाएं मिलकर नर्वस सिस्टम को बैलेंस करते हैं, हार्ट रेट को कम करती हैं, साथ ही ईसीजी रीडिंग को भी सुधारती हैं।  इनके अलावा, जग्गी वासुदेव की ईशा क्रिया,  ब्रह्मकुमारियों का राजयोग ध्यान, महर्षि योगी का भावातीत ध्यान, ओशो का सक्रिय ध्यान, विपश्‍यना आदि भी ध्यान के कुछ प्रसिद्ध और प्रचलित तरीके हैं।

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