आईए करें चमत्कारी मोती डूंगरी गणेश का दर्शन

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 31 Aug, 2019 01:19 PM

moti dungri ganesh mandir

हिंदू धर्म से संबंधित बहुत से देवी-देवताओं के मंदिर गुलाबी नगरी जयपुर में हैं इसलिए जयपुर को छोटी काशी भी कहा जाता है। इसी आस्था के चलते जयपुर में बहुत से मंदिरों का निर्माण हुआ जिससे जयपुर को मंदिरों के

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हिंदू धर्म से संबंधित बहुत से देवी-देवताओं के मंदिर गुलाबी नगरी जयपुर में हैं इसलिए जयपुर को छोटी काशी भी कहा जाता है। इसी आस्था के चलते जयपुर में बहुत से मंदिरों का निर्माण हुआ जिससे जयपुर को मंदिरों के शहर के रूप में जाना जाने लगा। जयपुर सिर्फ अपने किलों, महलों और विरासत में मिले स्मारकों के लिए ही मशहूर नहीं है बल्कि यहां एक सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध भगवान गणेश का मंदिर भी है। मोती डूंगरी गणेश मंदिर राजस्थान में जयपुर के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है। लोगों की इसमें विशेष आस्था तथा विश्वास है। जयपुर ही नहीं देशभर में से आने वाले लोगों के मन में इस मंदिर के लिए खास जगह है। यहां स्थापित प्राचीन गणेश प्रतिमा चमत्कारी मानी जाती है।

PunjabKesari Moti Dungri Ganesh mandir

मंदिर का इतिहास
मोती डूंगरी की तलहटी में स्थित भगवान गणेश का यह मंदिर जयपुरवासियों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। इतिहासकार बताते हैं कि यहां स्थापित गणेश प्रतिमा जयपुर नरेश माधोसिंह प्रथम की पटरानी के पीहर मावली से 1731 ई.में लाई गई थी। मावली में यह प्रतिमा गुजरात से लाई गई थी। उस समय यह पांच सौ वर्ष पुरानी थी। जयपुर के नगर सेठ पल्लीवाल यह मूर्ति लेकर आए थे और उन्हीं की देख-रेख में मोती डूंगरी की तलहटी में इस मंदिर को बनवाया गया था। जयपुर के परकोटा इलाके से बाहर जे.एल.एन. मार्ग पर मोती डूंगरी के निचले भाग में गणेश का प्राचीन मंदिर है। गणेश मंदिर के दक्षिण में एक टीले पर लक्ष्मीनारायण का भव्य मंदिर है जिसे ‘बिरला मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। हर बुधवार को यहां मोती डूंगरी गणेश का मेला लगता है जिस कारण जे.एल.एन. मार्ग पर दूर तक वाहनों की कतारें लग जाती हैं। मोती डूंगरी गणेश जी के प्रति भी यहां के लोगों में श्रद्धा है। जे.एल.एन. मार्ग में एम.डी. मार्ग पर स्थित यह मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है।

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स्थापत्य शैली
यह मंदिर भवन साधारण नागर शैली में बना है। मंदिर के सामने कुछ सीढिय़ां और तीन द्वार हैं। दो मंजिला भवन के बीच का जगमोहन ऊपर छत तक है तथा जगमोहन के चारों ओर दो मंजिला बरामदे हैं। मंदिर का पिछला भाग पुजारी के निवास स्थान से जुड़ा है।  यहां दाहिनी सूंड वाले गणेश जी की विशाल प्रतिमा है, जिस पर सिंदूर का चोला चढ़ाकर भव्य शृंगार किया जाता है। मोती डूंगरी गणेश मंदिर के बाद भी अनेक मंदिर स्थित हैं।

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