Edited By Prachi Sharma,Updated: 30 Jun, 2024 10:25 AM
महान वायलिन वादक फ्रिट्ज क्रिसलर एक संगीत समारोह में वायलिन बजा रहे थे। जब कार्यक्रम समाप्त हुआ तो काफी देर तक तालियां बजती रहीं और कुछ ही
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महान वायलिन वादक फ्रिट्ज क्रिसलर एक संगीत समारोह में वायलिन बजा रहे थे। जब कार्यक्रम समाप्त हुआ तो काफी देर तक तालियां बजती रहीं और कुछ ही देर में क्रेस्लर के प्रशंसकों ने उन्हें घेर लिया।
एक प्रशंसक बोला, ‘‘सर, इतनी अच्छी वायलिन बजाने के लिए मैं अपनी पूरी जिंदगी लगा सकता हूं।’’
यह सुनकर क्रेस्लर बोले, ‘‘भाई, मैं तो अपना पूरा जीवन लगा चुका हूं। जब आप अपना पूरा जीवन कला को देते हैं तभी तो वह और भी निखरती है।’’
दूसरा प्रशंसक बोला, ‘‘सर, सफलता भाग्य का परिणाम है। दुनिया में सबको बराबर यश कहां मिलता है ?’’
क्रेस्लर बोले, ‘‘आप गलत कह रहे हैं। सफलता भाग्य का नहीं बल्कि लगातार अभ्यास का परिणाम है।’’
यह सुनकर तीसरा व्यक्ति बोला, ‘‘सर, आप अभ्यास पर फोकस कर रहे हैं, तो क्या आप इसका कोई सशक्त उदाहरण दे सकते हैं ?”
क्रेस्लर बोले, ‘मैं अपना ही उदाहरण देता हूं। अगर मैं एक महीने तक रियाज न करूं, तो श्रोता मेरे वायलिन बजाने में फर्क महसूस कर सकते हैं। अगर मैं एक सप्ताह तक अभ्यास न करूं, तो मेरी पत्नी वायलिन बजाने के फर्क को बता सकती है और अगर मैं एक दिन अभ्यास न करूं तो मैं खुद फर्क बता सकता हूं कि आज कहां चूक हुई है।”
क्रेस्लर बोले, ‘‘आप जितना अधिक रियाज करेंगे, उतनी ही प्रशंसा और सफलता पाएंगे।’’ यह सुनकर तीनों व्यक्ति बोले, “सर, क्या अभ्यास के भी कुछ नियम हैं ?”
क्रेस्लर बोले, ‘‘बिल्कुल। अभ्यास करते समय व्यक्ति को खुशमिजाज और सकारात्मक भावों से भरा रहना चाहिए।
जब वह सकारात्मक भावों के साथ कला का अभ्यास करेगा, तो धुन की आवाज भी दिल को छूने वाली ही बाहर निकलेगी।” यह सुनकर सभी श्रोता क्रेस्लर की बातों से सहमत हो गए।