Edited By Sarita Thapa,Updated: 09 Feb, 2025 10:39 AM
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Motivational story: कई वर्ष पहले धार में राजा भोज का शासन था। उस राज्य में एक गरीब विद्वान रहता था। आर्थिक तंगी से घबराकर एक दिन विद्वान की पत्नी ने उससे कहा, “आप भोज के पास क्यों नहीं जाते? वह विद्वानों का बड़ा आदर करते हैं।
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Motivational story: कई वर्ष पहले धार में राजा भोज का शासन था। उस राज्य में एक गरीब विद्वान रहता था। आर्थिक तंगी से घबराकर एक दिन विद्वान की पत्नी ने उससे कहा, “आप भोज के पास क्यों नहीं जाते? वह विद्वानों का बड़ा आदर करते हैं। हो सकता है आपकी विद्वता से प्रभावित होकर वह आपको ढेर सारा धन दे दें।”
विद्वान राजा के दरबार में पहुंचा। पहरेदार ने पूछा, “आप कौन हैं? कहां जाना है?” विद्वान ने कहा, “जाओ राजा से कहो कि उनका भाई आया है।” पहरेदार ने जब भोज को यह बात बताई तो वह सोचने लगे-‘मेरा तो कोई भाई है नहीं फिर कौन हो सकता है। कहीं कोई धूर्त तो नहीं।’ उनकी उत्सुकता जागी। उन्होंने विद्वान को बुलवा लिया।
भोज ने विद्वान से पूछा, “क्या तुम मेरे भाई हो? किस नाते से?” विद्वान ने कहा, “मैं आपका मौसेरा भाई हूं। आपकी मौसी का लड़का।” भोज ने पूछा, “कैसे? मेरी तो कोई मौसी नहीं है।”
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विद्वान बोला, “महाराज! आप संपत्ति माता के पुत्र हैं और मैं विपत्ति माता का पुत्र। संपत्ति और विपत्ति बहनें हैं। इस नाते मैं आपका मौसेरा भाई हुआ न।” यह सुनकर भोज बेहद प्रसन्न हुए। उन्होंने ढेर सारी स्वर्ण मुद्राएं विद्वान को दीं।
फिर भोज ने पूछा, “मेरी मौसी तो कुशल हैं न?” इस पर विद्वान ने जवाब दिया, “राजन, जब तक आपकी मौसी जीवित थीं, आपके दर्शन नहीं हुए थे। अब आपके दर्शन हुए तो आपकी मौसी स्वर्ग सिधार गई।” इस उत्तर से भोज को और भी प्रसन्नता हुई। उन्होंने विद्वान को गले से लगा लिया और उसे ढेर सारा धन देकर विदा किया।
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