Edited By Sarita Thapa,Updated: 16 Apr, 2025 02:03 PM
Motivational Story: किसी राज्य में एक राजा रहता था जो बहुत घमंडी था। उसके घमंड के चलते आसपास के राज्य के राजाओं से भी उसके संबंध अच्छे नहीं थे।
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Motivational Story: किसी राज्य में एक राजा रहता था जो बहुत घमंडी था। उसके घमंड के चलते आसपास के राज्य के राजाओं से भी उसके संबंध अच्छे नहीं थे। उसके घमंड की वजह से सारे राज्य के लोग उसकी बुराई करते थे।
एक बार उस गांव से एक साधु महात्मा गुजर रहे थे। उन्होंने भी राजा के बारे में सुना और राजा को सबक सिखाने की सोची। साधु तेजी से राजमहल की ओर गए और बिना प्रहरियों से पूछे सीधे अंदर चले गए। राजा ने देखा तो वह गुस्से से भर गया।
राजा बोला, “यह क्या उद्दंडता है महात्मा जी, आप बिना किसी की आज्ञा के अंदर कैसे आ गए?”
साधु ने विनम्रता से उत्तर दिया, “मैं आज रात इस सराय में रुकना चाहता हूं।”
राजा को यह बात बहुत बुरी लगी, वह बोला, “महात्मा जी यह मेरा राज महल है कोई सराय नहीं, कहीं और जाइए।”
साधु ने प्रश्न किया, “हे राजा, तुमसे पहले यह राजमहल किसका था?”
राजा बोला, “मेरे पिता जी का।” साधु ने पूछा, “तुम्हारे पिता से पहले यह किसका था?” राजा बोला, “मेरे दादा जी का।”
साधु ने मुस्कुरा कर कहा, “हे राजा जिस तरह लोग सराय में कुछ देर रहने के लिए आते हैं वैसे ही यह तुम्हारा राजमहल भी है जो कुछ समय के लिए तुम्हारे दादा जी का था, फिर कुछ समय के लिए तुम्हारे पिता जी का था, अब कुछ समय के लिए तुम्हारा है, कल किसी और का होगा।”
यह राजमहल जिस पर तुम्हें इतना घमंड है यह एक सराय ही है जहां एक व्यक्ति कुछ समय के लिए आता है और फिर चला जाता है। साधु की बातों से राजा इतना प्रभावित हुआ कि सारा राजपाट, मान-सम्मान छोड़ कर साधु के चरणों में गिर पड़ा और महात्मा जी से क्षमा मांगी तथा फिर कभी घमंड न करने की शपथ ली।