Edited By Sarita Thapa,Updated: 25 Apr, 2025 12:44 PM
Motivational Story: एक आचार्य ने अपने गुरुकुल के छात्रों की शिक्षा पूरी कराने के बाद 3 चुने हुए शिष्यों से कहा, “कल प्रात: मेरी कुटिया में आना। तुम्हारी आखिरी परीक्षा लेने के बाद तुम्हें प्रमाणपत्र दिया जाएगा।”
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Motivational Story: एक आचार्य ने अपने गुरुकुल के छात्रों की शिक्षा पूरी कराने के बाद 3 चुने हुए शिष्यों से कहा, “कल प्रात: मेरी कुटिया में आना। तुम्हारी आखिरी परीक्षा लेने के बाद तुम्हें प्रमाणपत्र दिया जाएगा।” इसके बाद आचार्य ने कुटिया के मार्ग पर कुछ कांटे बिखेर दिए।
सवेरे तीनों शिष्य गुरुकुल से गुरुदेव की कुटिया की ओर चले। वे थोड़ी दूर ही चले थे कि उनके पैरों में कांटे चुभने लगे। पहला शिष्य पैरों में कांटे चुभने के बाद भी चलता रहा और गुरुदेव की कुटिया में पहुंचने के बाद कांटे निकालने लगा।
दूसरा शिष्य पहले शिष्य के पैरों में कांटे चुभते देखकर सतर्क हो गया और कांटों से बचते हुए कुटिया तक पहुंच गया। तीसरे शिष्य ने जैसे ही रास्ते में कांटे बिखरे देखे, उसने वृक्ष की एक नीचे झुकी हुई डाली तोड़ी तथा झाड़ू की तरह उसका उपयोग कर रास्ते से कांटे हटाते हुए कुटिया के द्वार पर खड़े आचार्य के चरण स्पर्श कर बैठ गया।
गुरुदेव कुटिया के द्वार पर खड़े तीनों शिष्यों का आचरण देख रहे थे। उन्होंने तीसरे शिष्य की पीठ थपथपाते हुए कहा, “वत्स, तुम आखिरी परीक्षा में सफल रहे। सच्चा ज्ञान वही है जो दूसरों के सामने आए संकट को दूर कर सके। शिष्य के रूप में तुम हमारे गुरुकुल का नाम ऊंचा करोगे।”