Edited By Prachi Sharma,Updated: 22 Dec, 2024 08:14 AM
पंजाब में पठानकोट के प्रसिद्ध मुक्तेश्वर शिव धाम को प्राचीन पांडव गुफा के नाम से भी जाना जाता है। शिवालिक की पहाड़ियों में लगभग 5500 साल से भी पुराने इस धाम के बारे में कहा जाता है कि इसे
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Mukteshwar Dham: पंजाब में पठानकोट के प्रसिद्ध मुक्तेश्वर शिव धाम को प्राचीन पांडव गुफा के नाम से भी जाना जाता है। शिवालिक की पहाड़ियों में लगभग 5500 साल से भी पुराने इस धाम के बारे में कहा जाता है कि इसे पांडवों ने बसाया था। इस धाम को ‘छोटा हरिद्वार’ भी कहा जाता है।
पौराणिक मान्यता
मान्यता है कि आज जिस स्थान पर मुक्तेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है, वहां करीब 5500 साल पहले धर्मराज युधिष्ठिर अपने भाइयों और द्रोपदी के साथ इन्हीं कंदराओं में रुके थे, जिसके प्रमाण आज भी मौजूद हैं। कहा जाता है कि इस स्थान का वर्णन स्कंद पुराण में भी मिलता है। भगवान शिव को समर्पित, मुक्तेश्वर महादेव गुफा-मंदिर रावी नदी के तट पर स्थित है। मंदिर का मुख्य आकर्षण संगमरमर का एक शिवलिंग है।
द्रोपदी रसोई और भीम चक्की
ब्यास और चोच नदियों के संगम स्थल इंदौरा से करीब 7 किलोमीटर दूर रावी नदी पर बने रणजीत सागर बांध और निर्माणधीन शाहपुर कंडी बांध के बीच गांव ढूंग में स्थित है मुक्तेश्वर महादेव का मंदिर। मंदिर से कुछ किलोमीटर पहले रावी नदी के बहने का शोर सुनाई देना शुरू हो जाता है। 164 सीढ़ियां उतरने के बाद मंदिर परिसर में पहुंच जाएंगे। मंदिर में चार गुफाएं हैं जो अपने महाभारतकालीन होने की गवाही देती हैं। थोड़ा नीचे उतरने पर दो गुफाओं में से एक बड़ी गुफा में मंदिर और परिवार मिलन कक्ष आज भी है। बाकी तीन गुफाएं थोड़ी ऊंचाई पर हैं। इनमें से एक गुफा में चक्की लगाई गई थी, जिसे ‘भीम की चक्की’ कहते हैं। दूसरी गुफा द्रौपदी गुफा है और तीसरी गुफा द्रौपदी की रसोई कही जाती है। मान्यता है कि इस गुफा में पांचाली भोजन बनाती थी।
गुफा में है शिव परिवार
मंदिर पंजाब और हिमाचल के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। मुख्य गुफा में गणेश, ब्रह्मा, विष्णु, हनुमान और माता पार्वती की मूर्तियां मौजूद हैं। यहां अमावस्या, नवरात्र, बैसाखी और शिवरात्रि पर आयोजित होने वाले मेले में भारी संख्या में पंजाब, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के श्रद्धालु पहुंचते हैं। पठानकोट में बाबा मुक्तेश्वर धाम और पांडवों की पौराणिक गुफाओं को बैराज बांध की झील में समाने से बचाने के लिए 300 फुट लंबी दीवार बनाई जा रही है। इसके साथ ही बनाई गई 50 मीटर ऊंची कंक्रीट की दीवार जिनका निर्माण जल्द ही पूरा हो जाएगा।
मंदिर प्रबंधन द्वारा बाबा मुक्तेश्वर धाम मंदिर को बैराज डैम की झील में समाने से बचाने के लिए लंबा संघर्ष किया गया था। इसके बाद सरकार द्वारा लगभग 9 करोड़ से ज्यादा की राशि मंजूर की गई, जिससे मंदिर और झील के पानी के बीच में एक कंक्रीट की दीवार का निर्माण किया गया है।
कैसे पहुंचे
मुक्तेश्वर धाम पठानकोट जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर और मीरथल से 4 किलोमीटर है। यहां रेल, सड़क और वायु मार्ग से पहुंचा जा सकता है। यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन पठानकोट है, जबकि हवाई अड्डा अमृतसर और जम्मू है। पर्यटक रेलवे स्टेशन से ऑटो या टैक्सी ले सकते हैं या खुद अपने वाहनों से पहुंच सकते हैं।