Mukteshwar Mahadev Temple: पठानकोट का मुक्तेश्वर धाम कहलाता है छोटा हरिद्वार, पांडवों ने किया था इसका निर्माण

Edited By Prachi Sharma,Updated: 07 Aug, 2024 11:39 AM

mukteshwar mahadev temple

पठानकोट के पास एक डूंग गांव में स्थित मुक्तेश्वर शिवधाम को छोटे हरिद्वार के नाम से जाना जाता है। यह शिवालिक की पहाड़ियों की गोद में स्थित है। सावन के महीने

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Mukteshwar Mahadev Temple: पठानकोट के पास एक डूंग गांव में स्थित मुक्तेश्वर शिवधाम को छोटे हरिद्वार के नाम से जाना जाता है। यह शिवालिक की पहाड़ियों की गोद में स्थित है। सावन के महीने में खास तौर पर इस मंदिर की विशेषता और भी ज्यादा बढ़ जाती है। मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में पांडवों द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया था और ये मंदिर करीब 5500 साल पुराना है। 5 पांडव युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव द्रौपदी सहित अज्ञातवास काटने के लिए 12वें साल यहां आए थे और 6 महीने तक रुके थे। इन्हीं गुफाओं में रहते हुए इन्होने शिवलिंग की स्थापना की। 

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यहां महाभारत के समय की चार गुफाए हैं। इन गुफाओं में बड़ी गुफा में मंदिर, द्रौपदी की रसोई, परिवार मिलन कक्ष आज भी मौजूद है। बाकि गुफाएं थोड़ी ऊंचाइयों पर स्थित हैं। मंदिर के अंदर सफ़ेद संगमरमर का शिवलिंग है जो नक्षत्रों और ग्रहों के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है। भक्तों के लिए यह मंदिर सुबह 6 बजे से खुलता है और रात 8 बजे बंद हो जाता है। भगवान शिव के मुक्तेश्वर धाम  में सुबह 10 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक भंडारा चलता रहता है और सुबह 6 बजे और शाम को 7 बजे महादेव की आरती की जाती है। यह मंदिर प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है। यहां की सुंदरता किसी स्वर्ग से कम नहीं है। 

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A three day fair is held on Shivratri शिवरात्रि पर लगता तीन दिन का मेला
शिवरात्रि के साथ-साथ सावन, सोमवती अमावस्या और नवरात्रों के दौरान यहां मेला लगता है। दूर-दूर से भक्त यहां शिव और शक्ति के दर्शन के लिए आते हैं। कहते हैं जो व्यक्ति सच्चे मन से यहां दर्शन करता है उसके जीवन से समस्त दुःख दूर हो जाते हैं। आस-पास के लोगों में इस मंदिर को लेकर खास श्रद्धा है।

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How to reach the temple ऐसे पहुंचे मंदिर 

भगवान शिव का मुक्तेश्वर धाम पठानकोट शहर से 22 किलोमीटर दूर स्थित है।  पठानकोट रेलवे स्टेशन  के बाद बस स्टैंड जाएं दी मीरथल या इंदौरा के लिए बस पकड़ें। इसके बाद वहां से ऑटो, टैक्सी सीधा आपको मंदिर पहुंचा देगी। पहाड़ के बीच में बनी गुफाओं तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां चढ़ती पड़ती हैं। 

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