Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 May, 2022 12:33 PM

भ्रम में मत रहो
मैंने देखा कमरे की छत पर एक छिपकली उल्टी लटकी थी। पूछा, ‘‘क्या बात है, छत से उल्टी क्यों
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भ्रम में मत रहो
मैंने देखा कमरे की छत पर एक छिपकली उल्टी लटकी थी। पूछा, ‘‘क्या बात है, छत से उल्टी क्यों लटकी हो ? नीचे क्यों नहीं आती ?’’
छिपकली बोली, ‘‘इस छत को मैंने संभाल रखा है। अगर मैं यहां से हट गई तो यह नीचे गिर जाएगी।’’
वह छिपकली और कोई नहीं तुम्हीं हो। तुम भी तो इसी भ्रम में जी रहे हो। याद रखो किसी के ‘गुजर’ जाने से किसी का ‘गुजारा’ नहीं रुकता।

तो फिर जीवन भर आराम
यदि आप विद्यार्थी हैं तो मेरी एक नसीहत ध्यान में रखिए। दसवीं और बारहवीं कक्षा के वर्षों में सोइए मत। रात-दिन पढ़िए क्योंकि ये ही दो वर्ष हैं जहां से करियर बनता है।
यदि ये दो वर्ष सोने में निकाल दिए तो फिर जिंदगी भर जागना ही जागना है। कारण कि मजदूरी करके जीवन गुजारना होगा और इन वर्षों में जागकर कठोर मेहनत करके अध्ययन में सफलता पा ली तो फिर जीवन भर आराम से सोना ही सोना है क्योंकि किसी अच्छे पद पर तुम्हारी नियुक्ति होगी व जिंदगी मजे से कट रही होगी।

बड़ा जटिल सवाल है
एक मूर्ख ने दूसरे मूर्ख से कहा, ‘‘अगर तुम यह बता दो कि मेरी झोली में क्या है तो सारे अंडे तुम्हारे और अगर यह बता दो कि गिनती में ये कितने हैं तो आठ के आठ अंडे तुम्हारे और अगर तुमने यह भी बता दिया कि ये अंडे किस जानवर के हैं, तो मुर्गी भी तुम्हारी।’’
दूसरा मूर्ख सोच में डूब गया और थोड़ी देर बाद बोला, ‘‘यार, मुझे कुछ संकेत तो दे। यह तो बड़ा ही जटिल सवाल है।’’
हमारी जिंदगी के हर सवाल के जवाब भी हमारी जिंदगी में छिपे हैं फिर भी हम समझ कहां पाते हैं।
