Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Nov, 2022 11:06 AM
मोक्ष पाता है सच्चा भक्त दुनिया की परवाह नहीं करता। दुनिया उसके विषय में क्या सोचती है, क्या बोलती है ? उसे फिक्र नहीं होती।
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मोक्ष पाता है
सच्चा भक्त दुनिया की परवाह नहीं करता। दुनिया उसके विषय में क्या सोचती है, क्या बोलती है ? उसे फिक्र नहीं होती। वह तो परमात्मा से कहता है, ‘‘हे प्रभु ! जिसमें तेरी रजा, उसमें मुझको मजा।’’
जगत और भगत में कभी मेल नहीं हो सकता। जगत साधनों में जीता है और भगत साधना में जीता है। साधनों में जीने वाला मौत पाता है और साधना में जीने वाला मोक्ष।
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धर्म का खम्भा
गणित का एक प्रश्न है। एक कीड़ा है और साठ फुट ऊंचा एक खंभा। कीड़ा उस खंभे पर दिन में दो इंच ऊपर चढ़ता है और रात में पौने दो इंच नीचे उतरता है। तो बताओ उस खंभे के सिरे पर वह कब पहुंचेगा ?
गणित की थोड़ी भी समझ रखने वाला इसका जवाब दे सकता है। वह कीड़ा 2880 दिन अर्थात 8 वर्ष में खंभे के सिरे पर पहुंचेगा। आप कहेंगे इतनी मंद गति से ? पर इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। धर्म के विषय में हमारी इससे भी मंद गति है। धर्म के 60 फुट ऊंचे खम्भे पर आठ साल तो क्या 60 साल में भी नहीं पहुंच पाते। यह जग जन्म से लेकर मोक्ष तक न जाने कितनी शंकाओं से भरा है इसलिए यहां जल्दबाजी उचित नहीं।
गलती दोबारा मत करो
गलती करो, गलतियां करो। दो बार करो, चार बार करो। बस इतना ध्यान रखो कि एक गलती दोबारा मत करो। गलतियां उन्हीं से होती हैं जो कुछ करने की कोशिश करते हैं। गिरते भी वही हैं जो चलते हैं। गलती से सबक लो। गलती से सबक न लेना सबसे बड़ी मूर्खता है।
गलती से गिरो भी तो गेंद की तरह, जो जमीन पर गिरती है तो फिर उछल पड़ती है। न कि उस मिट्टी के ढेले की तरह, जो गिरता है और वहीं रह जाता है।