Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Jan, 2023 02:32 PM
कड़वा बोलना मेरा शौक नहीं मीडिया के लोग मुझसे पूछते हैं कि आपकी खुशनसीबी क्या है ?
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कड़वा बोलना मेरा शौक नहीं
मीडिया के लोग मुझसे पूछते हैं कि आपकी खुशनसीबी क्या है ?
मैं उन्हें उत्तर देता हूं कि मैं इतना कड़वा बोलता हूं, फिर भी लोग मुझे सुनते हैं। वरना जमाना तो ऐसा है कि बेटा भी बाप की कड़वी बात सुनना पसंद नहीं करता।
मैं कड़वा बोलता हूं लेकिन कड़वा बोलना मेरा शौक नहीं, मजबूरी है क्योंकि यदि मैं मीठा बोलता हूं तो सुनने वालों को लगता है कि मैं उन्हें सुलाने के लिए लोरी गा रहा हूं। आजकल मैंने मीठा बोलना बंद कर दिया है। कड़वा बोलता हूं और ‘कड़वे प्रवचन’ देता हूं।
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सब गुड़ गोबर
एक आदमी पैदल यात्रा कर रहा था। चलते-चलते जंगल आ गया। उसने सोचा खुला मैदान है क्यों न मैं यहां भोजन बनाकर खा लूं। उसने गीली मिट्टी से चौका तैयार किया और लकड़ी बीनने चला गया।
इतने में एक गधा आया और चौके पर बैठ गया। सब गुड़ गोबर हो गया। उसने गधे को देखा और कहा, ‘‘कोई और होता तो कहते, गधे हो क्या, दिखता नहीं है ? पर आपसे क्या कहें ? आप तो बस आप हैं।’’
जीवन में भी कई बार ऐसा होता है हम कोई चौका बनाते हैं और कोई गधा आकर उस पर बैठ जाता है।
... ताकि झूठ न हो
पति से पत्नी ने कहा, ‘‘देख मालिक दरवाजा खटखटाता है, जा और उससे कह दे कि मैं घर पर नहीं हूं।’’
पत्नी बोली, ‘‘तुम भी कमाल करते हो, सुबह ही तो नियम लिया कि चार महीने झूठ नहीं बोलूंगा और चार घंटे भी नहीं हुए कि झूठ।’’
पति बोला, ‘‘किसने कहा झूठ ! झूठ न हो इसीलिए तो तुझे भेज रहा हूं।’’
भगवान महावीर ने कहा है कि झूठ का अनुमोदन करना, कराना और करते हुए की प्रशंसा करना, सब अनुचित है।