Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Mar, 2023 12:16 PM
मीरा भक्ति में मगन थी, भजन गा रही थी। सभा में कोई संगीतज्ञ बैठा रहा होगा। संगीतज्ञ के हिसाब से भजन में, लय-ताल में तालमेल
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अनुराग में गाया करो
मीरा भक्ति में मगन थी, भजन गा रही थी। सभा में कोई संगीतज्ञ बैठा रहा होगा। संगीतज्ञ के हिसाब से भजन में, लय-ताल में तालमेल नहीं बैठ रहा होगा। सो उसने सामने दीवार पर लिख दिया-राग में गाया करो। मीरा की समाधि टूटी। भजन पूरा हुआ। सामने लिखा-पढ़ा तो मीरा ने उसमें एक शब्द जोड़ दिया-अनुराग में गाया करो। राग में गाने से जगत प्रसन्न होता है। अनुराग में गाने से जगदीश प्रसन्न होते हैं। अब क्या करना है ? निर्णय तुम्हें करना है।
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साथ कौन देगा
कपड़ा नापना है तो मीटर चाहिए। दूध नापना है तो लीटर चाहिए। बुखार नापना है तो थर्मामीटर चाहिए और मन को नापना है तो ईश्वर चाहिए। मन अनंत है, उसे सिवाय ईश्वर के कोई नहीं नाप सकता। मन का नापना मेंढक को तराजू पर तोलने जैसा है। तराजू पर दो मेंढक रखोगे, चार उछल जाएंगे। सबका अपना-अपना काम है। मीटर का काम लीटर और लीटर का काम थर्मामीटर नहीं कर सकता। धूल में शक्कर मिल गई तो चींटी ही शक्कर को अलग करके खा सकती है। यह कार्य हाथी नहीं कर सकता।
मन से माया निकाल दो
मन से माया निकाल दो, संसार खत्म हो जाएगा। जब तुम्हारे मां-बाप ही तुम्हें दुनिया से छोड़कर चले गए तो फिर जरा सोचकर देखो कि और कौन तुम्हारा साथ देगा ? बस दुनिया में तुम बिल्कुल अकेले हो। आए भी अकेले और जाओगे भी अकेले। बस, बीच में थोड़े दिन का मेला है। संयोग का वियोग जरूर होगा। तुम नहीं छोड़ोगे तो वह तुम्हें छोड़कर चल देगा। वियोग मुख्य है, संयोग नहीं। बस ! तुम और सब कुछ भूल जाओ, सिर्फ उस कब्र को याद रखो जहां तुम्हें देर-सवेर जाना ही होगा। इस दुनिया में कोई हमेशा रहने वाला नहीं है और फिर मृत्यु क्या है ? रिटर्न टिकट। जन्म के साथ मृत्यु वैसे ही है जैसे यात्रा के साथ ही लौटने का टिकट।