Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Dec, 2023 08:06 AM
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दुनिया में असंभव जैसा कार्य कुछ भी नहीं है, अगर आपने उसे पाने का दृढ़ निश्चय कर लिया है क्योंकि कहा गया है कि घुटनों के बल चलते-चलते पांव खड़े हो जाते हैं और छोटे-छोटे नियम
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असम्भव कुछ नहीं
दुनिया में असंभव जैसा कार्य कुछ भी नहीं है, अगर आपने उसे पाने का दृढ़ निश्चय कर लिया है क्योंकि कहा गया है कि घुटनों के बल चलते-चलते पांव खड़े हो जाते हैं और छोटे-छोटे नियम एक दिन बहुत बड़े हो जाते हैं। पर याद रखना- कार्य जितना बड़ा होगा श्रम, सब्र और समय भी उतना ही अधिक मांगेगा। हम अपने मिशन में केवल इस कारण सफल नहीं हो पाते क्योंकि हमारे सपने तो बड़े-बड़े होते हैं परंतु उन सपनों को साकार करने के लिए हम न तो कठोर श्रम करते हैं, न समय देते हैं और न ही हम में सब्र होता है।
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जो नहीं मिलता उसी की कद्र होती है
गरीबी क्या है ? वर्तमान उपलब्धि से संतुष्ट न होने का नाम ही गरीबी है। अमीर हो या गरीब, यहां कोई भी सुखी नहीं है। गरीब को कल की चिंता है तो अमीर निन्यानवें के फेर में उलझा हुआ है। यूं भी मन का पेट कभी भरता नहीं। करोड़ मिल जाएं तो दस करोड़ की लालसा सताने लगती है। मन का चरित्र है कि जो मिल जाता है, वह उसमें रस नहीं लेता। जो नहीं मिलता या मिलते-मिलते रह जाता है, उसके पीछे भागता है। तुम हर वक्त सांस लेते हो लेकिन सांस की कद्र कब होती है ? जब सांस लेने के लिए ऑक्सीजन का सिलैंडर लगाना पड़े। पत्नी मायके जाती है, तभी पत्नी का महत्व समझ में आता है।
समय का मूल्य
किसी ने पूछा है : समय का मूल्य क्या है ? समय बहुमूल्य है, अमूल्य है। समय तो जीवन है। समय को बर्बाद करना तिल-तिल करके मरने जैसा है।
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समय समय है, तुम्हारे बाप का नौकर नहीं। वह न तो किसी का इंतजार करता है और न ही किसी से इकरार। समय कभी पीछे मुड़कर भी नहीं देखता। अभी बारह बजे थे और अब एक बज गया। कल शनिवार था और आज रविवार हो गया। मतलब जिंदगी की मुट्ठी में से एक दिन और खिसक गया।
मन दर्पण की तरह हो
सुबह जब तुम सोकर उठते हो तो जीवन एकदम नया होता है। नए जीवन के साथ मन भी नया होना चाहिए। नए मन से अर्थ - सुबह सोकर उठो तो दर्पण की तरह खाली मन लेकर उठो। उस मन में कोई प्रतिबिंब, कोई स्मृतियों के चित्र नहीं होने चाहिएं। कल तक जो तुम्हारा दुश्मन था, आज जब उससे मिलो तो एकदम अजनबी की तरह मिलो। मित्र से भी अजनबी की तरह मिलो क्योंकि हो सकता है कि रात भर में मित्र दुश्मन और दुश्मन मित्र बन गया हो। मन दर्पण की तरह हो, कैमरे की रील की तरह नहीं।
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