Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Dec, 2023 09:18 AM
वासना खींच लाती है
मक्खन में फंसे हुए बाल को निकालना सहज है परन्तु सूखे हुए गोबर के कंडे में फंसे बाल को निकालना बड़ा कठिन है। ज्ञानी के शरीर में
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वासना खींच लाती है
मक्खन में फंसे हुए बाल को निकालना सहज है परन्तु सूखे हुए गोबर के कंडे में फंसे बाल को निकालना बड़ा कठिन है। ज्ञानी के शरीर में रहने वाला जीव मक्खन के गोले में फंसे बाल जैसा है। वह मृत्यु के समय सहजता से प्राण छोड़ देता है लेकिन अज्ञानी मृत्यु के समय रोता है क्योंकि उसके प्राण वासना में अटक जाते हैं। यही वासना उसे फिर परिवार में खींच लाती है। माताएं-बहनें कहती हैं न, जरा मुन्ना को देखना, बिल्कुल दादा जी पर गया है। दादा जी पर नहीं, दादा जी ही हैं, जो पोता बनकर फिर आ गए।
पैसे दुख का कारण
ज्यादा पैसा, जल्दी पैसा और किसी भी जरिए से पैसा, ये तीनों अंतत: दुख का कारण बनते हैं। पैसे को प्यार कीजिए लेकिन उसी को, जो आपने ईमानदारी से कमाया है। जीवन में खूब पैसा कमाना, मगर अपनी सेहत को दांव पर लगाकर नहीं क्योंकि पहला सुख ‘निरोगी काया’ ही है।
जीवन में सब सुख-सुविधाएं हों लेकिन सेहत भली-चंगी न हो तो उन सुख-सुविधाओं का क्या औचित्य ? विडम्बना यह है कि व्यक्ति पहले पैसा कमाने के लिए अपना शरीर बिगाड़ता है और फिर सुधारने के लिए पैसा बिगाड़ता है।