Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Feb, 2024 07:31 AM
इच्छा शक्ति बढ़ाएं
अहंकार व्यर्थ है। अहंकार किस बात का ? यहां सभी तो क्षण भंगुर हैं। आसमान को देखो तो सोचना कि हम कभी आसमान से ऊपर नहीं उठ सकते हैं और
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इच्छा शक्ति बढ़ाएं
अहंकार व्यर्थ है। अहंकार किस बात का ? यहां सभी तो क्षण भंगुर हैं। आसमान को देखो तो सोचना कि हम कभी आसमान से ऊपर नहीं उठ सकते हैं और जमीन को देखो तो सोचना कि हमें एक दिन इसी मिट्टी में मिलना है। पर सच्चाई तो यह है कि जीवन मिट जाता है, किंतु मनुष्य की इच्छाएं नहीं मिटतीं। इच्छाएं अनंत हैं, आकाश की तरह असीम हैं। इच्छाओं को नहीं, ‘इच्छा शक्ति’ को बढ़ाओ।
चार कदम तुम चलो
परमात्मा बड़ा दयालु है। वह तुमसे दूर नहीं है। वह तुम्हारे ईर्द-गिर्द ही है। परमात्मा तुमसे कहता है कि तू चार कदम चलकर मेरे दर (मंदिर) आ, मैं हजार कदम चलकर तेरे घर आऊंगा। वहां मेरी-तेरी मुलाकात हो जाएगी। तुम्हें सिर्फ चार कदम चलना है, वह हजार कदम चलने को तैयार है पर तुम इतने बेईमान हो कि चार कदम भी चलने को तैयार नहीं हो। तुम चाहते हो हींग लगे न फिटकरी और रंग चोखा हो जाए।
दिल और दिमाग
मनुष्य के पास तीन प्रकार की उपलब्धियां होती हैं-तन, मन और धन। अपना तन और धन भले बीवी-बच्चों को दे देना, पर अपना मन सिवाय प्रभु के और किसी को मत देना, वरना तुम्हारा मन मानसरोवर नहीं बन सकता। दिल में प्रभु का वास होता है और दिमाग में शैतान का इसलिए कोई भी कार्य करने से पहले दिल की आवाज सुनने की आवश्यकता है। जो तन और धन की चिंता करे, वह गृहस्थ तथा जो मन और जीवन (समाधि) की चिंता करे, वह संत।
जिस घर में बेटी न हो
कन्या भ्रूण हत्या एक कलंक है। इस कलंक को हटाने के लिए संत, समाज और सरकार को अपने-अपने स्तर पर प्रयास करने होंगे। सरकार तय करे कि जिसके घर बेटी हो, उसे ही चुनाव लड़ने के योग्य मानें अथवा उसे ही चुनाव में वरीयता दें। समाज निर्णय करे कि उन घरों में अपनी बेटी नहीं देंगे, जिन घरों में बेटियां न हों और संत भी उन घरों का आहार करने के लिए अनदेखा करें, जिन घरों में बेटियां न हों।
गुस्से में कोई कुछ कहे तो
घर में ड्राइंग रूम, किचन रूम, डाइनिंग रूम की तरह ही एक कंट्रोल रूम भी होना चाहिए, ताकि कभी कोई आऊट-ऑफ-कंट्रोल हो जाए तो उसमें जाकर बैठ जाए और सामान्य होने पर बाहर आ जाए। किसी ने गुस्से में आपको कह दिया कुत्ता और आप भौंकने लगे तो उसने गलत क्या कहा? सामने वाला गुस्से में हो तो आप चुप रहें। गुस्से में कोई कुछ कह दे तो उसे सच न मानें क्योंकि उसे खुद नहीं पता कि वह क्या कह रहा है?