Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 May, 2024 07:29 AM
हार और जीत
कभी किसी कार्य में एकाध बार हार मिल जाए तो दुखी होकर बैठ जाना बेवकूफी है। हार हर हाल में हार है। कभी गले का तो कभी हार का। यदि आप हार को
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हार और जीत
कभी किसी कार्य में एकाध बार हार मिल जाए तो दुखी होकर बैठ जाना बेवकूफी है। हार हर हाल में हार है। कभी गले का तो कभी हार का। यदि आप हार को हराने की ठान चुके हैं तो घर-परिवार, दोस्त-यार, नौकरी-व्यापार हार कर भी हिम्मत मत हारिए। चलते रहिए। मंजिल आखिर उन्हीं को मिलती है, जो चलते हैं। तुम्हें पता होना चाहिए कि सतत् चलने वाला कछुआ जीत जाता है और सोने वाला खरगोश हार जाता है।
कड़वे और मीठे प्रवचन
जब मच्छर के काटने से बुखार आ सकता है तो संत के श्रीमुख से निकली वाणी से जिंदगी में निखार क्यों नहीं आ सकता। दरअसल, संत जिह्वा से कम, जीवन से ज्यादा बोलते हैं। मुनि का मतलब ही होता है जो मौन है पर मुखर है। कड़वे प्रवचन और मीठे प्रवचन में अंतर भी यही है कि जो संत के मुख से निकले और श्रोता के कान पर जाकर खत्म हो जाए वे मीठे प्रवचन और जो कानों की यात्रा करते हुए दिल तक पहुंचे वे कड़वे प्रवचन।
एक घटना
जब कोई लड़की बहू बन कर किसी के घर जाती है तो एक घटना घटती है और वह घटना ही परिवार को हरिद्वार या फिर नरक का द्वार बनाती है। अगर वह अपना हक लेकर ससुराल जाती है तो घर कुछ ही दिनों में नर्क बन जाता है और यदि वह अपना फर्ज लेकर ससुराल जाती है तो घर कुछ ही दिनों में स्वर्ग बन जाता है। बेटियो! ससुराल जाना पर हक के लिए नहीं, फर्ज के लिए जाना। अगर आप अपना फर्ज निभाती रहीं तो हक सहज ही मिल जाएगा।
चार भाई
आज भले ही चार-भाई एक साथ रहते हैं, चारों का ‘पता’ भी एक है लेकिन एक-दूसरे के बारे में किसी को कुछ नहीं ‘पता’। आज घरों में होटल-संस्कृति तेजी से पनप रही है। एक भाई सामने के दरवाजे से घर में प्रवेश करता है तो दूसरा भाई पीछे के दरवाजे से बाहर निकल जाता है। होटलों में भी तो यही होता है।
ध्यान रखना : अगर घर के सदस्यों के बीच आपसी संवाद नहीं तो कब्रों में रहने वाले मुर्दों और कमरों में रहने वाले मनुष्यों में कोई फर्क नहीं।