Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Aug, 2024 07:38 AM
सद्गुरु का पल्ला
चींटी बहुत छोटा जीव है। घर-आंगन की छोटी-छोटी यात्रा में ही उसका पूरा दिन चला जाता है। चींटी को अगर पूना से चलकर दिल्ली जाना हो तो कितने दिन लगेंगे,
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सद्गुरु का पल्ला
चींटी बहुत छोटा जीव है। घर-आंगन की छोटी-छोटी यात्रा में ही उसका पूरा दिन चला जाता है। चींटी को अगर पूना से चलकर दिल्ली जाना हो तो कितने दिन लगेंगे, हम कल्पना कर सकते हैं लेकिन वही नन्ही-सी चींटी यदि किसी व्यक्ति का पल्ला पकड़ ले या किसी व्यक्ति के वस्त्रों पर चढ़ जाए और वह व्यक्ति दिल्ली जाने वाली ट्रेन में जा बैठे तो बिना प्रयास के चींटी अगले दिन दिल्ली पहुंच जाती है। इसी प्रकार सद्गुरु का पल्ला पकड़कर हम भी भव-सागर की दुर्गम यात्रा बिना प्रयास के पूरी कर सकते हैं।
रोना भी जरूरी है
रोटी, कपड़ा और मकान के साथ जीवन में हास्य भी जरूरी है। इतना ही नहीं, जितना हंसना जरूरी है, उतना ही रोना भी जरूरी है। आखिर हंसकर या रोकर ही तो दिल हल्का होता है मगर दुर्भाग्य यह है कि आज हमने हंसना और रोना दोनों ही बंद कर दिए हैं। परिणाम यह हुआ कि जिंदगी में तनाव इतना अधिक बढ़ गया है कि ‘स्थिति तनावपूर्ण मगर नियंत्रण में है’ जैसी हो गई है। जीवन की खुशहाली और देश की भलाई के लिए हंसते रहिए, हंसाते रहिए और हां रोने में शर्म कैसी ?
यह प्रार्थना करो
मैं हर रोज एक प्रार्थना करता हूं और चाहता हूं कि तुम भी यह प्रार्थना जरूर करो। मैं प्रार्थना करता हूं कि हे प्रभु ! दुनिया में हर रोज एक ऐसा आदमी जरूर पैदा हो, जिसमें महावीर-बुद्ध जैसा संकल्प हो, श्री राम-कृष्ण जैसा गौरव हो, कुंदकुंद-कबीर जैसी साधना हो, गांधी-विवेकानंद जैसी सरलता हो। और हां, दुनिया में हर रोज एक ऐसा आदमी जरूर मरे, जिसे महावीर जैसी मृत्यु उपलब्ध हो, जिसकी मृत्यु लोगों के लिए दीवाली का उत्सव बन जाए, ‘महावीर निर्वाण महोत्सव’ बन जाए। जीना सीखना है तो गीता से सीखो और मरना सीखना है तो महावीर से सीखो।