Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Nov, 2024 10:14 AM
अपने बच्चों की तुलना औरों के बच्चों से मत करिए और न ही उन्हें औरों के बच्चों जैसा बनने के लिए कहिए। इससे उन्हें चिढ़ होती है और वे तनावग्रस्त हो जाते हैं।
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न करें बच्चों की तुलना
अपने बच्चों की तुलना औरों के बच्चों से मत करिए और न ही उन्हें औरों के बच्चों जैसा बनने के लिए कहिए। इससे उन्हें चिढ़ होती है और वे तनावग्रस्त हो जाते हैं।
यदि आप अपने बच्चे की तुलना उसके दोस्त से करेंगे तो कल्पना कीजिए क्या होगा, यदि वह भी आपकी तुलना अपने दोस्त के पिता से करने लगे।
बच्चों को तुलना के तराजू में तौलना उनकी नैसर्गिक प्रतिभा की हत्या करना है। बच्चों से सिर्फ इतना ही कहें, ‘‘हट के किया-हट के दिया दुनिया हमेशा याद रखती है।’’
बुजुर्गों का क्रोध बर्दाश्त नहीं
बुजुर्गो अपना क्रोध एकदम बंद कर दें क्योंकि बूढ़े आदमी का क्रोध कोई भी पसंद नहीं करता। जवान अपना क्रोध ‘थोड़ा-मंद’ कर ले तो चल जाएगा लेकिन बुजुर्ग को अपना क्रोध ‘थोड़ा मंद’ नहीं, ‘पूरा बंद’ करना होगा।
जवानी में तो फिर भी क्रोध की कीमत होती है। जो कमाता है घर का खर्च चलाता है, लोग उसका क्रोध भी बर्दाश्त कर लेते हैं लेकिन जो न कमाता हो और बैठे-बैठे खाता है फिर भी गुर्राता है, उसका क्रोध कोई पसंद नहीं करता।