Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Mar, 2025 07:25 AM

हंसी आए तो हंस लेना
आज हमारी जिंदगी से हंसी ऐसे गायब हो गई, जैसे कि चुनाव जीतने के बाद नेता गायब हो जाता है। सेहत के लिए जितना हंसना जरूरी है, उतना रोना भी जरूरी है। वह आंख ही क्या जिससे कभी आंसू न छलके और वह मुख ही क्या जिस पर हास्य न बिखरे। आज...
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हंसी आए तो हंस लेना
आज हमारी जिंदगी से हंसी ऐसे गायब हो गई, जैसे कि चुनाव जीतने के बाद नेता गायब हो जाता है। सेहत के लिए जितना हंसना जरूरी है, उतना रोना भी जरूरी है। वह आंख ही क्या जिससे कभी आंसू न छलके और वह मुख ही क्या जिस पर हास्य न बिखरे। आज हमारा दिलो-दिमाग इसलिए भारी हो गया है क्योंकि हमने हंसना और रोना बंद कर दिया है। मैं कहता हूं : हंसी आए तो हंस लेना, इससे आंतें खुल जाती हैं और रोना आए तो रो लेना, इससे आंखें धुल जाती हैं लेकिन विडम्बना है कि हमने अपनी हंसी या तो फेफड़ों में कैद कर रखी है या फिर उसकी किसी बैंक में एफ.डी. करा रखी है।

बच्चा टी.वी. पर गया है
कहा जाता है कि बच्चे पर मां का प्रभाव पड़ता है लेकिन आज बच्चा मां से कम, मीडिया से ज्यादा प्रभावित हो रहा है। कल तक कहा जाता था कि यह बच्चा अपनी मां पर गया है और यह बाप पर मगर आज जिस तरह से देसी-विदेशी चैनल हिंसा और अश्लीलता परोस रहे हैं, उन्हें देख कर लगता है कि कल यह कहा जाएगा कि यह बच्चा जी टी.वी. पर गया है और यह स्टार टी.वी. पर और यह जो निखट्टू है न, यह तो पूरा फैशन टी.वी. पर गया है। आज विभिन्न चैनलों द्वारा देश पर जो सांस्कृतिक हमले हो रहे हैं, वे ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकवादियों के हमले में भी ज्यादा खतरनाक हैं।

देश का भविष्य
यदि कोई इंजीनियर भ्रष्ट होता है तो कुछेक पुल, भवन ही असमय में धराशायी होते हैं। यदि कोई डाक्टर भ्रष्ट होता है तो कुछेक लोगों की ही अकाल मौत होती है लेकिन यदि कोई शिक्षक भ्रष्ट होता है तो आने वाली समूची पीढ़ी बर्बाद हो जाती है। देश का भविष्य आज शिक्षक के हाथ में है क्योंकि उसके द्वार पर नई पीढ़ी कुछ सीखने बैठी है। यदि देश के एक करोड़ अस्सी लाख शिक्षक तय कर लें तो भारत को विकसित राष्ट्र क्या, विश्व राष्ट्र बना सकते हैं।

चैन की नींद
दुनिया में दो तरह के लोगों को दुखी माना गया है, एक- जिसके घर कुंवारी कन्या हो तथा दो- जिसके सिर पर कर्ज हो। कन्या और कर्ज वालों की नींद हमेशा उड़ी रहती है। कन्या और कर्ज को बड़ा होने में वक्त नहीं लगता। ये दोनों देखते ही देखते बड़े हो जाते हैं। कन्या के हाथ पीले हो जाएं और कर्ज से हाथ ढीले हो जाएं तो ही आदमी चैन की नींद सो सकता है। कर्ज लेने से डरो लेकिन कन्या देने से मत डरो क्योंकि कन्या अमानत है, देनी ही पड़ेगी।
