Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Nov, 2022 10:40 AM
भारत मंदिरों का देश है। हमारे देश में ऐसे कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनका संबंध या तो किसी दूसरे युग से है या फिर उनका इतिहास हजारों साल पुराना है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Murudeshwar temple in karnataka: भारत मंदिरों का देश है। हमारे देश में ऐसे कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनका संबंध या तो किसी दूसरे युग से है या फिर उनका इतिहास हजारों साल पुराना है। आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है, खासकर रावण से। यह मंदिर कर्नाटक में कन्नड़ जिले की भटकल तहसील में स्थित है, जो तीन ओर से अरब सागर से घिरा हुआ है। समुद्र तट पर स्थित होने के कारण इस मंदिर के आसपास का नजारा बेहद ही खूबसूरत लगता है।
1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें
History of Murudeshwar temple: हम बात कर रहे हैं मुरुदेश्वर मंदिर की, जो भगवान शिव को समर्पित है। मुरुदेश्वर, भगवान शिव का ही एक नाम है। इस मंदिर की सबसे खास बात है कि इसके परिसर में भगवान शिव की एक विशाल मूर्ति स्थापित है, जिसे दुनिया की दूसरी सबसे विशाल और ऊंची शिव प्रतिमा (मूर्ति) माना जाता है। शहर को पहले मृदेश्वर के नाम से जाना जाता था, बाद में मंदिर के निर्माण के बाद इसका नाम बदलकर मुरुदेश्वर कर दिया गया।
Relation with Ravan रावण से संबंध
पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण जब अमरता का वरदान पाने के लिए भगवान शिव की तपस्या कर रहा था, तब शिवजी ने उसकी तपस्या से खुश होकर उसे एक शिवलिंग दिया, जिसे आत्मलिंग कहा जाता है और कहा कि अगर तुम अमर होना चाहते हो तो इसे लंका ले जाकर स्थापित कर देना लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि इसे जिस जगह पर रख दोगे, यह वहीं स्थापित हो जाएगा।भगवान शिव के कहे अनुसार रावण शिवलिंग लेकर लंका की ओर जा रहा था, लेकिन बीच रास्ते में ही भगवान गणेश ने चालाकी से रावण को लंका भेज दिया और लिंग को गोकर्ण में जमीन पर रख दिया जिससे वह वहीं पर स्थापित हो गया।
इससे क्रोधित होकर रावण लिंग को उखाड़ने और नष्ट करने की कोशिश करने लगा और शिवलिंग के टूटे हुए टुकड़े फैंक दिए। इसी क्रम में जिस वस्त्र से शिवलिंग ढंका हुआ था, वह म्रिदेश्वर के कन्दुका पर्वत पर जा गिरा। म्रिदेश्वर को ही अब मुरुदेश्वर के नाम से जाना जाता है। शिव पुराण में इस कथा का विस्तार से वर्णन मिलता है।
Giant shiva idol विशाल शिव मूर्ति
भगवान शिव की यहां स्थापित विशाल मूर्ति की ऊंचाई करीब 123 फुट है। इसे इस तरीके से बनाया गया है कि दिन भर सूर्य की किरणें इस पर पड़ती रहती हैं। मूर्ति चांदी के रंग में कुछ इस तरह रंगी है की सूरज की किरण पड़ते ही यह और भी विशाल रूप में प्रतीत होती है। यह शिव प्रतिमा इतनी ऊंची है कि दूर से देखी जा सकती है, साथ ही इसे देखने के लिए यहां लिफ्ट भी बनाई गई है। इसे बनाने में करीब दो साल का वक्त लगा था और करीब पांच करोड़ रुपए की लागत आई थी। इस खास मंदिर को देखने के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
Height of Murudeshwar mandir Gopuram सबसे बड़ा गोपुरम
दक्षिण भारतीय मंदिरों की तरह यहां भी गोपुरम बना हुआ है जिसकी ऊंचाई 249 फुट है। यह दुनिया का सबसे बड़ा गोपुरम माना जाता है।
How To Reach Murudeshwar मुरुदेश्वर कैसे पहुंचे
मुरुदेश्वर कर्नाटक राज्य में स्थित है और गोकर्ण से केवल 54 किलोमीटर दूर है। यह कर्नाटक और देश के बाकी हिस्सों से सड़क और रेल द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
हवाई जहाज से
मैंगलोर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा यहां से लगभग 153 किलोमीटर दूर है। यह देश के सभी प्रमुख शहरों और विदेशों में कुछ गंतव्यों से भी जुड़ा हुआ है। मुरुदेश्वर पहुंचने के लिए हवाई अड्डे से टैक्सी उपलब्ध हैं।
ट्रेन से
मुरुदेश्वर रेलवे स्टेशन मैंगलोर और मुंबई से जुड़ा है। मैंगलोर प्रमुख रेलहैड है और यह भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। मुरुदेश्वर रेलवे स्टेशन शहर से 2 किलोमीटर पूर्व में है और यहां बसों और ऑटो-रिक्शा द्वारा पहुंचा जा सकता है।
सड़क द्वारा
निजी और राज्य द्वारा संचालित बसें मुरुदेश्वर को मुंबई, कोच्चि और बेंगलुरु से जोड़ती हैं। यह एन.ए.17 पर स्थित है जो मुंबई को कोच्चि से जोड़ता है। बसें दोनों शहरों के बीच नियमित रूप से चलती हैं और मैंगलोर से गुजरती हैं। बेंगलुरु इस क्षेत्र के कई अन्य महत्वपूर्ण शहरों से जुड़ा हुआ है।