Edited By Jyoti,Updated: 29 May, 2022 11:58 AM
हमारे देश में अगिनत मंदिर है जिसमें किसी एक देवी-देवता से जुड़ा धार्मिक स्थल नहीं है बल्कि हिंदू धर्म के तमाम 33 कोटि देवी-देवताओं के मंदिर शामिल हैं। जिसमें आज हम आपको बताने वाले हैं प्रथम पूज्य
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हमारे देश में अगिनत मंदिर है जिसमें किसी एक देवी-देवता से जुड़ा धार्मिक स्थल नहीं है बल्कि हिंदू धर्म के तमाम 33 कोटि देवी-देवताओं के मंदिर शामिल हैं। जिसमें आज हम आपको बताने वाले हैं प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी के अनूठे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। कहा जाता है ये मंदिर अपने अनूठे पन के चलते न केवल देश में बल्कि विदेशों में प्रचलित है। तो आइए जानते हैं क्या है इस मंदिर की विशेषता साथ ही साथ बताएंगे रोगों से छुटकारा दिलवाने वाली देवी शीतला के एक प्राचीन स्थल की तथा गणपति बप्पा के भ्राता कार्तिकेय के एक ऐसे निवास स्थल के बारे में जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। तो आइए बिल्कुल देर न करते हुए जानते हैं इन तीनों के प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में-
‘गणपति मंदिर’
महाराष्ट्र में सांगली जिले के तसगांव शहर में स्थित भगवान गणपति मंदिर अपने आप में अनूठा है। जहां अधिकांश गणपति मूर्तियों में सूंड बाईं ओर होती है वहीं इस मंदिर की गणपति प्रतिमा की सूंड दाईं ओर को है। ऐसी गणपति मूर्ति को सक्रिय (जागृत) कहा जाता है। इन गणपति को एक जीवित मूर्ति के रूप में माना जाता है, जो सौभाग्य, ज्ञान, समृद्धि और खुशी का आशीर्वाद देते हैं।
मूर्ति को सोने से अलंकृत किया गया है जो 125 किलो वजनी है। इस मंदिर का निर्माण सन् 1779 में परशुराम भाऊ पटवर्धन द्वारा शुरू किया गया था और उनके पुत्र अप्पा पटवर्धन द्वारा पूरा किया गया। इसकी वास्तुकला दक्षिण भारतीय मंदिर निर्माण से मिलती-जुलतीहै। इस शैली के मंदिरों के बीचों-बीच एक बड़ा-सा मंडप होता है।
माता शीतला मंदिर
शीतला माता का प्राचीन काल से ही बहुत अधिक महात्म्य रहा है। स्कंद पुराण में शीतला देवी का वाहन गर्दभ (गधा) बताया गया है। वह हाथों में कलश, सूप, मार्जन तथा नीम के पत्ते धारण करती हैं। इन्हें चेचक आदि कई रोगों से रक्षा करने वाली देवी बताया गया है। हरियाणा राज्य के गुड़गांव में स्थित माता शीतला का मंदिर प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है जहां वर्ष में दो बार एक-एक माह का मेला लगता है।
विशेषतः: माता के नवरात्रों के अवसर पर मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त जमा होते हैं। यह अति प्राचीन मंदिर दुनिया भर के भक्तों की आस्था का केंद्र है। मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता भी है कि इसका सम्बन्ध महाभारत काल से है। कहा जाता है कि यहीं पर कौरवों और पांडवों को आचार्य द्रोणाचार्य अस्त्र और शस्त्र का प्रशिक्षण देते थे।
भगवान कार्तिकेय का निवास ‘शिवगिरि पर्वत’
भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय को दक्षिण भारत में मुरुगन कहा जाता है। उनका सबसे विशाल व प्रसिद्ध मंदिर दक्षिण में तमिलनाडु के पलानी में स्थित है। मुरुगन स्वामी मंदिर शिवगिरी पर्वत पर बना है। पर्वत की ऊंचाई 160 मीटर है, जहां ऊपर तक रोप-वे से भी जा सकते हैं और रेलगाड़ी से भी। स्थानीय लोगों में मान्यता है कि एक बार नारद मुनि कैलाश पर्वत पर एक फल लेकर पहुंचे।
यह ज्ञान का फल था। शिव जी ने यह फल अपने दोनों बेटों गणेश और कार्तिकेय को दिया, पर मुनि को मंजूर नहीं था कि फल को दो हिस्सों में काटा जाए। तो यह तय हुआ कि जो तीन बार पृथ्वी की परिक्रमा पहले कर लेगा, उसे वह फल मिलेगा। कार्तिकेय अपनी सवारी मयूर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा पर निकल पड़े, पर गणेश पिता शिव और माता पार्वती की ही परिक्रमा करने लगे।शिव जी ने वह फल गणेश को दे दिया। जब कार्तिकेय लौटे, तो उन्हें गुस्सा आया कि उनकी परिक्रमा व्यर्थ चली गई। नाराज कार्तिकेय ने कैलाश पर्वत छोड़ दिया और दक्षिण भारत के पलानी स्थित शिवगिरी पर्वत पर अपना निवास बनाया। कहते हैं कि कार्तिकेय साधु वेश में यहां तपस्या करने लगे। बाद में शिव-पार्वती खुद कार्तिकेय को आशीर्वाद देने पलानी आए।