Edited By Prachi Sharma,Updated: 19 Jul, 2024 06:44 AM
उत्तर प्रदेश में 22 जुलाई से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा पर प्रशासन विवादों में घिरता दिख रहा है। मुजफ्फरनगर पुलिस ने 3 दिन पहले (15 जुलाई को) जारी एक आदेश में कहा
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मुजफ्फरनगर (इंट): उत्तर प्रदेश में 22 जुलाई से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा पर प्रशासन विवादों में घिरता दिख रहा है। मुजफ्फरनगर पुलिस ने 3 दिन पहले (15 जुलाई को) जारी एक आदेश में कहा था कि कांवड़ रास्ते की दुकानों में मालिक अपना नाम लिखवाएं ताकि कांवड़ियों में कंफ्यूजन न हो।
इस आदेश के बाद अब राजनीति शुरू हो गई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव और ए.आई.एम.आई.एम. अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर सवाल उठाए हैं।
ओवैसी ने मुजफ्फरनगर पुलिस की तुलना हिटलर से की है। वहीं, अखिलेश ने कहा-जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा ? कोर्ट इस मामले में स्वत: संज्ञान ले। ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं। जवाब में एस.एस.पी. ने कहा-यह परम्परा रही है और भ्रम की स्थिति से बचने के लिए ऐसा किया गया।
वहीं, टी.एम.सी. के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने मुजफ्फरनगर पुलिस के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में केस दर्ज कराया है। गोखले के मुताबिक आदेश भेदभाव करने वाला है। साथ ही उन्होंने एस.एस.पी. मुजफ्फरनगर के तर्क को मूर्खतापूर्ण बताया।