Nag Panchami: आज है नाग पंचमी, भोले बाबा नाग देवता के संग भरेंगे खाली झोली

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Aug, 2024 03:35 AM

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नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा होती है, जो सुरक्षा, समृद्धि और बलिदान का प्रतीक हैं। नाग पंचमी पर उनकी पूजा करके आप उनके आशीर्वाद से संकटों से बच सकते हैं। ज्योतिष शास्त्रों में राहू व केतू को

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Nag Panchami 2024: नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा होती है, जो सुरक्षा, समृद्धि और बलिदान का प्रतीक हैं। नाग पंचमी पर उनकी पूजा करके आप उनके आशीर्वाद से संकटों से बच सकते हैं। ज्योतिष शास्त्रों में राहू व केतू को सर्प माना जाता है। इनमें राहू को सर्प का सिर तथा केतू को पूंछ माना जाता है। ज्योतिष गणनाओं के अनुसार जब सौर मंडल के समस्त ग्रह राहू व केतू की परिधि में आ जाते हैं तो कुंडली में कालसर्प योग का निर्माण होता है। इसे कष्टकारी माना जाता है।

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Keep this in mind during Nag Puja नाग पूजा में रखें इस बात का ध्यान
गौरी पूजन प्रसंग में हिंदू महिलाएं बांझपन दूर करने के लिए नाग पूजा करती हैं। अग्रि पुराण में तो स्पष्ट लिखा है कि शेष आदि सर्पराजों का पूजन पंचमी में होना चाहिए। सुगंधित पुष्प तथा दूध नागों को अति प्रिय हैं। केवल कच्चा दूध ही नागों को चढ़ाया जाता है। कुछ लोग 5 नागों की आकृतियां बनाकर नाग पूजा करते हैं तथा प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु जहां हो वहीं रहियो हमारी रक्षा करियो।

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How to get rid of Kaal Sarp Dosha कालसर्प दोष से कैसे मुक्ति पाएं
जन्म कुंडली में कालसर्प दोष होने पर उसकी शांति करवाना अत्यंत आवश्यक होता है। इस दिन भगवान शंकर का दूध से रुद्राभिषेक कर चांदी के सर्प-सर्पणी के जोड़े का भी अगर विधिवत पूजन कर इनका जल विसर्जन किया जाए या शिवलिंग पर रख दिया जाए तो अति लाभ होता है। इससे भगवान भोलेनाथ की असीम कृपा से घर में सुख-शांति बढ़ती है। 

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Do Nag Puja for the happiness of the family परिवार की खुशहाली के लिए करें नाग पूजा
घर में सांप या नाग का चित्र लगाकर उनकी पूजा करें, सफेद रंग के फूल और दूध अर्पित करें।

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Learn the glory of snakes from the window of history इतिहास के झरोखे से जानें नाग महिमा
पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन में वासुकि नाग को मंदराचल पर्वत के इर्द-गिर्द लपेट कर रस्सी की भांति उपयोग किया गया था। रामायण में विष्णु भगवान के अवतार श्री राम के छोटे भाई लक्ष्मण एवं महाभारत के श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी को शेषनाग का अवतार माना गया है। भोले बाबा नागों के देवता हैं और उनके संपूर्ण शरीर पर नागों का वास माना जाता है। फक्कड़ बाबा के गले में नागों का हार, कानों में नाग कुंडल, सिर पर नाक मुकुट एवं छाती पर भी नाग ही शोभा बढ़ाते हैं। शिव की स्तुति में शिवाष्टक में भी वर्णन है कि शिव शंकर भोले नाथ भंडारी का पूरा शरीर सांपों के जाल से ढका हुआ है। इसी प्रकार भगवान विष्णु शेषनाग की बनाई शय्या पर शयन करते हैं। 

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