Edited By Prachi Sharma,Updated: 15 Jan, 2025 08:27 AM
महाकुंभ में अमृत स्नान के लिए लगी अखाड़ों की कई किलोमीटर लंबी कतारें देखने को मिलीं। पहले ‘अमृत स्नान’ के दिन आकर्षण का केंद्र जटाओं में फूल और हाथ में त्रिशूल लहराते नागा साधु रहे।
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महाकुंभ में अमृत स्नान के लिए लगी अखाड़ों की कई किलोमीटर लंबी कतारें देखने को मिलीं। पहले ‘अमृत स्नान’ के दिन आकर्षण का केंद्र जटाओं में फूल और हाथ में त्रिशूल लहराते नागा साधु रहे। अखाड़ों के साथ नागा और साधु-संतों ने ‘अमृत स्नान’ के लिए त्रिवेणी के संगम तट पर सुबह सवा छह बजे से स्नान का क्रम शुरू किया। मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर हल्की फुहार के बीच महाकुंभ 2025 के पहले ‘अमृत स्नान’ के लिए 14 जनवरी की भोर से ही सभी 13 अखाड़े अपने जुलूस के साथ संगम तट पर जाने के लिए तैयार दिखे।
हाथी, घोड़े, ऊंट पर सवार साधु-संत हाथों में त्रिशूल, गदा, भाला-बरछी लेकर ‘जय श्री राम’, ‘हर हर महादेव’ के जयघोष के साथ जब संगम तट के लिए निकले तो कई किलोमीटर लंबी लाइन लग गई। संतों, संन्यासियों और नागा साधुओं को देखने के लिए अखाड़ा मार्ग के दोनों ओर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उनके दर्शन के लिए खड़ी रही। बता दें कि तीर्थों के राजा प्रयागराज में जब 12 साल का पूर्ण कुंभ 12 बार पूरा होता है, तब 144 साल बाद फिर प्रयागराज में महाकुंभ लगता है।
प्रथम ‘अमृत स्नान’ के दौरान नागा साधुओं का अद्भुत प्रदर्शन श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना। त्रिवेणी तट पर इन साधुओं की पारंपरिक और अद्वितीय गतिविधियों ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। अमृत स्नान के लिए ज्यादातर अखाड़ों का नेतृत्व कर रहे इन नागा साधुओं का अनुशासन और उनका पारंपरिक शस्त्र कौशल देखने लायक था। ‘अमृत स्नान’ के लिए निकली अखाड़ों की शोभायात्रा में कुछ नागा साधु घोड़ों पर तो कुछ पैदल चलते हुए विशिष्ट वेशभूषा और आभूषणों से सजे थे। नगाड़ों की गूंज के बीच उनके जोश ने इस अवसर को और भी खास बना दिया।