Narak puja katha: नरक पूजा की कथा के साथ जानें कुछ खास बातें

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Oct, 2024 03:46 PM

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Narak puja story: दिवाली के पंच दिवस उत्सव का यह दूसरा दिन मूलतः मृत्यु के देवता यमराज के पूजन के लिए समर्पित है। इस दिन यम के निमित्त श्राद्ध व यम तर्पण का विधान है। इस दिन चतुर्दश यम अर्थात यमराज, धर्मराज, मृत्यु, अनंत, वैवस्वत, काल, सर्वभूत शयर,...

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Narak puja story: दिवाली के पंच दिवस उत्सव का यह दूसरा दिन मूलतः मृत्यु के देवता यमराज के पूजन के लिए समर्पित है। इस दिन यम के निमित्त श्राद्ध व यम तर्पण का विधान है। इस दिन चतुर्दश यम अर्थात यमराज, धर्मराज, मृत्यु, अनंत, वैवस्वत, काल, सर्वभूत शयर, औदुम्बर, दध्ना, नीलगाय, परमेष्ठी, वृकोदर, पितृ, चित्रगुप्त के निमित्त पूजन किया जाता है। इस दिन शाम के समय यम तर्पण और दीप दान दक्षिण दिशा में मुंह करके किया जाता है। 

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Narak puja katha 2024 पौराणिक संदर्भ: पौराणिक मान्यता अनुसार आज के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी दुर्दान्त असुर नरकासुर का वध किया था तथा देवताओं व ऋषियों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी तथा सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त करा कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था। इस उपलक्ष्य में दीयों की बारात सजाई जाती है। उस दिन यमराज ने महापराक्रमी व महादानी राजा रन्तिदेव की गलती सुधारने हेतु उन्हें जीवनदान देकर नरक के कोप से मुक्ति दिलाई थी।

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मान्यतानुसार इसी दिन देवऋषि नारद ने राजा हिरण्यगभ को उनके कीड़े पड़ चुके सड़े हुए शरीर से मुक्ति का मार्ग बताया था। जिससे राजा हिरण्यगभ को सौन्दर्य व स्वास्थ्य प्राप्त हुआ। इसी कारण इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में शरीर पर चंदन का लेप लगाकर तिल मिले जल से स्नान करने का महत्व है। इस दिन यमराज, श्री कृष्ण और महाकाली का विशेष पूजन किया जाता है। रात्रि के समय घर की दहलीज पर दीप लगाए जाते हैं। रूप चौदस के विशेष स्नान पूजन व उपायों से लंबे समय से चल रही बीमारी दूर होती है, नर्क से मुक्ति मिलती है तथा व्यक्ति लंबे समय तक जवान व खूबसूरत रहता है।

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