Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 May, 2023 07:47 AM
प्रत्येक वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन नरसिंह जयंती मनाई जाती है। बता दें कि भगवान नरसिंह भगवान विष्णु के चौथे अवतार थे,
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Narasimha Jayanti 2023: प्रत्येक वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन नरसिंह जयंती मनाई जाती है। बता दें कि भगवान नरसिंह भगवान विष्णु के चौथे अवतार थे, जिन्होंने हिरण्यकश्यप के वध के लिए धरती पर अवतरण लिया था। इस विशेष दिन पर भगवान नरसिंह एवं भगवान विष्णु की उपासना करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं।
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Narasimha Jayanti 2023 auspicious time नरसिंह जयंती 2023 शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 03 मई 2023 को रात्रि 11 बजकर 49 मिनट पर प्रारंभ होगी और इसका समापन अगले दिन यानी 04 मई 2023 को रात्रि 11 बजकर 44 मिनट पर होगा। नरसिंह जयंती पर भगवान नरसिंह की पूजा सायंकाल में की जाती है। पूजा का समय शाम 04 बजकर 18 मिनट से शाम 06 बजकर 58 मिनट तक ही रहेगा। वहीं व्रत का पारण अगले दिन यानी 5 मई को सुबह 05 बजकर 38 मिनट के बाद किया जाएगा।
Narasimha Jayanti worship method पूजन विधि
भगवान नृसिंह की पूजा सायंकाल में की जाती है। भगवान नृसिंह की मूर्ति के पास देवी लक्ष्मी की मूर्ति भी रखी जाती है और पूरे भक्ति भाव से दोनों की पूजा की जाती है। भगवान नृसिंह की पूजा के लिए फल, पुष्प, कुमकुम, केसर, पंचमेवा, नारियल, अक्षत और पीताम्बर रखा जाता है। गंगाजल, काले तिल, पंचगव्य और हवन सामग्री का पूजन में उपयोग किया जाता है। भगवान नृसिंह को चंदन, कपूर, रोली व तुलसी दल भेंट कर धूप दीप दिखाएं। इसके बाद घंटी बजाकर आरती करें और भोग लगाएं।
शत्रु होंगे पराजित
शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन भगवान की पूजा सच्चे मन से करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और प्रभु सभी कष्ट हर लेते हैं। अगर आप अपने शत्रुओं से बहुत परेशान हैं और उन पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं तो वैशाख शुक्ल चतुर्दशी के दिन भगवान नृसिंह की पूजा करें, अवश्य लाभ मिलेगा।
Narasimha Jayanti katha पौराणिक कथा
राक्षसराज हिरण्यकश्यप ने कठोर तपस्या कर ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया था कि उसे न तो कोई मानव मार सकेगा और न ही कोई पशु, न दिन में उसकी मृत्यु होगी न रात में, न घर के भीतर और न बाहर, न धरती पर और न आकाश में, न किसी अस्त्र से और न ही किसी शस्त्र से। यह वरदान प्राप्त कर वह अहंकारी हो गया और स्वयं को अपराजेय और अमर समझने लगा। उसके अत्याचार से तीनों लोक त्रस्त हो उठे।
हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। उसे इस भक्ति से विरक्त करने के लिए हिरण्यकश्यप ने हर संभव कोशिश की लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। यहां तक की उसने अपने ही पुत्र के प्राण लेने की भी कोशिश की लेकिन प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं हुआ। एक दिन जब प्रह्लाद ने उससे कहा कि भगवान सर्वत्र व्याप्त हैं, तो हिरण्यकश्यप ने उसे चुनौती देते हुए कहा कि अगर तुम्हारे भगवान सर्वत्र हैं, तो इस स्तंभ में क्यों नहीं दिखते ?
यह कहते हुए उसने अपने राजमहल के उस स्तंभ पर प्रहार कर दिया। तभी स्तंभ में से भगवान विष्णु नृसिंह अवतार के रूप में प्रकट हुए। उन्होंने हिरण्यकश्यप को उठा लिया और उसे महल की दहलीज पर ले आए। भगवान नृसिंह ने उसे अपनी गोद में लिटाकर अपने नाखूनों से उसका सीना चीर डाला और उसका वध कर दिया।
जिस स्थान पर नृसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध किया, वह न घर के भीतर था, न बाहर। उस समय गोधुलि बेला थी यानी न दिन था और न रात। नृसिंह न पूरी तरह से मानव थे और न ही पशु। हिरण्यकश्यप का वध करते समय उन्होंने नृसिंह ने उसे अपनी गोद में लिटाया था, इसलिए वह न धरती पर था और न आकाश में। उन्होंने अपने नाखून से उसका वध किया, इस तरह वहां न अस्त्र का उपयोग हुआ और न शस्त्र का। इसी दिन को नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है।
यह दिन इस बात का आह्वान करता है कि यदि ईश्वर की भक्ति के साथ विश्वास भी हो (जैसा कि विपरीत परिस्थितियों में भी प्रहलाद ने अपने ईश्वर में दिखाया) तो भगवान की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। संकट की घड़ी में भगवान को पुकारना ही पर्याप्त नहीं है, मन में दृढ़ विश्वास भी होना चाहिए कि भगवान आपकी रक्षा के लिए आएंगे।
Narasimha Jayanti vrat importance व्रत का महत्व
नृसिंह जयंती के दिन भक्तगण प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, स्नानोपरांत स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। इसके बाद भक्तगण व्रत का संकल्प लेते हैं और पूरे दिन व्रत रखते हैं। मान्यता है कि नृसिंह जयंती के दिन व्रत रखने से भक्त के सारे दुख दूर हो जाते हैं। साथ ही नृसिंह मंत्र का जाप भी किया जाता है।
नरसिंह जयंती पर विष्णु जी को चढ़ाएं यह खास 6 चीजें
धन प्राप्ति - नरसिंह जयंती के दिन भगवान नरसिंह का स्मरण करते हुए शाम को पूजा में विष्णु जी को नागकेसर जढ़ा दें। अगले दिन इसे धन स्थान पर रख दें। ये उपाय धन प्राप्ति के लिए अचूक माना गया है। इससे पैसों से संबंधित परेशानियां खत्म होती हैं।
दुश्मन होगा शांत - दुश्मन हर काम में आड़े आ रहा है या फिर किसी अनजान दुश्मन का डर हमेशा बना रहता है तो नरसिंह जयंती पर कच्चे दूध से श्रीहरि का अभिषेक करें। इससे हर तरफ से सफलता मिलेगी।
कालसर्प दोष - कुंडली में कालसर्प दोष से आर्थिक, मानसिक और शारीरिक समस्याएं झेल रहे हैं तो इस दिन किसी नृसिंह मंदिर में जाकर एक मोर पंख चढ़ा दें। इससे कालसर्प दोष का निवारण होता है।
सेहत- नरसिंह भगवान पर चंदन का लेप लगाना बहुत शुभ माना जाता है। लंबे समय से जो व्यक्ति बीमार है, उसे नरसिंह भगवान पर चढ़ाया चंदन रोगी के माथे पर लगा दें तो सेहत में सुधार होने लगता है।
कानूनी लड़ाई- कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता नहीं मिल रही तो नृसिंह चतुर्दशी पर भगवान को दही का प्रसाद चढ़ाएं। जल सेवा करें। इससे कानूनी लड़ाई में आपको सफलता मिलेगी।
परिवार की सुख-शांति- परिवार में क्लेश हो रहे हैं, घर की सुख-शांति भंग हो गई है तो नरसिंह जयंती पर सत्तू और आटे का दान करें। ये उपाय पारिवारिक परेशानी को दूर करेगा
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड, राष्ट्रीय गौरव रत्न से विभूषित
पंडित सुधांशु तिवारी
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