Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 May, 2024 08:29 AM
हिंदू कैलेंडर के आधार पर नरसिंह जयंती का पावन पर्व वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाते हैं। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की पूजा करने का विधान है। पौराणिक कथाओं के अनुसार,
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Narasimha Jayanti 2024: हिंदू कैलेंडर के आधार पर नरसिंह जयंती का पावन पर्व वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाते हैं। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की पूजा करने का विधान है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया था। उसमें भगवान नरसिंह का आधा शरीर मनुष्य का और आधा शरीर सिंह का था। वे हिरण्यकश्यप के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए दोपहर के समय खंभा फाड़कर प्रकट हुए थे। उन्होंने घर की दहलीज पर हिरण्यकश्यप को अपने जंघे पर लिटाकर दोनों हाथों के नखों से उसका पेट फाड़ दिया था। हिरण्यकश्यप को वरदान था कि उसे मनुष्य या जानवर, दिन या रात में, अस्त्र या शस्त्र से नहीं मारा जा सकता था। इस वजह से श्रीहरि ने सबसे अनोखा स्वरूप नरसिंह का धारण किया।
Narasimha Jayanti : हर संकट का नाश करने वाली है नरसिंह जयंती, पुराणों के अनुसार पढ़ें पूरी Information
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Narasimha Jayanti 2024 Puja Muhurat नरसिंह जयंती 2024 पूजा मुहूर्त
21 मई को नरसिंह जयंती के दिन पूजा का मुहूर्त 2 घंटे 44 मिनट तक का है। उस दिन पूजा का शुभ समय शाम 04 बजकर 24 मिनट से शाम 07 बजकर 09 मिनट तक है।
Narasimha Jayanti is in Ravi Yoga and Swati Nakshatra रवि योग और स्वाति नक्षत्र में है नरसिंह जयंती
इस बार के नरसिंह जयंती के दिन रवि योग और स्वाति नक्षत्र का योग बन रहा है। उस दिन रवि योग सुबह 05:46 ए.एम से अगले दिन 22 मई को सुबह 05:27 ए.एम तक है। वहीं चित्रा नक्षत्र सुबह 05:46 ए.एम तक है। उसके बाद से स्वाति नक्षत्र है, जो 22 मई को सुबह 07:47 ए.एम तक है।
What is the Parana time of Narasimha Jayanti नरसिंह जयंती का पारण समय क्या है ?
जो लोग नरसिंह जयंती पर व्रत रखेंगे, वे व्रत का पारण 22 मई दिन बुधवार को सुबह में सूर्योदय के बाद कर सकते हैं। उस दिन आपको पारण दोपहर में 12:18 पी.एम से पहले कर लेना है।
Benefits of fasting and worship on Narasimha Jayanti नरसिंह जयंती पर व्रत और पूजा के फायदे: नरसिंह जयंती के दिन भगवान नरसिंह की पूजा करने से भक्तों के अंदर का भय दूर होता है।
भगवान नरसिंह की कृपा से जीवन में आने वाले संकटों का नाश होता है, वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
उनकी पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मनोबल बढ़ता है।
Narasimha Jayanti according to mythology पौराणिक कथाओं के अनुसार नरसिंह जयंती: धार्मिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप से अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा हेतु आधे नर और आधे सिंह के रूप में नरसिंह अवतार लिया था इसलिए तभी से इस दिन को भगवान नरसिंह की जयंती के रूप में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भगवान नरसिंह शक्ति तथा पराक्रम के देवता माने जाते हैं। भगवान नरसिंह, श्रीहरि विष्णु के उग्र और शक्तिशाली अवतार कहे जाते हैं। इनकी पूजा-अर्चना करने से हर प्रकार के संकट से रक्षा होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन अगर कोई व्यक्ति व्रत रख कर श्रद्धा और भक्ति से भगवान नरसिंह की पूजा-अर्चना करता है तो उसे सभी जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Worship Method of Narasimha Jayanti नरसिंह जयंती की पूजा-विधि: प्रातःकाल उठकर सभी कामों से निवृत्त हो जाएं।दोपहर के समय तिल, गोमूत्र, मिट्टी और आंवले को शरीर पर मलकर शुद्ध जल से स्नान करें। पूजा के स्थान को साफ कर भगवान नरसिंह की फोटो लगाएं। भगवान नरसिंह के चित्र के सामने दीपक जलाएं। उन्हें प्रसाद और लाल फूल अर्पित करें। इसके बाद अपनी मनोकामना का ध्यान करके भगवान नरसिंह के मंत्रों का जाप करें। भगवान नरसिंह के मंत्रों का जाप मध्य रात्रि में भी करना सबसे शुभ माना जाता है। व्रत के दिन फलाहार करें। अगले दिन किसी गरीब व्यक्ति को अन्न-वस्त्र का दान करके अपने व्रत का समापन करें।
आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
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