इस स्थान के बारे में नहीं जानते होंगे आप, यहां हर कंकर में है शंकर

Edited By Lata,Updated: 05 Jan, 2020 04:28 PM

narmada nadi

कहते हैं कि भगवान शंकर की महिमा अपरंपार है। शास्त्रों में बताया है कि शिव पूजा में शिवलिंग का

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कहते हैं कि भगवान शंकर की महिमा अपरंपार है। शास्त्रों में बताया है कि शिव पूजा में शिवलिंग का सर्वाधिक महत्व होता है। हिंदू धर्म में कई प्रकार के शिवलिंगों की पूजा की जाती है, जिनमें स्वयंभू शिवलिंग, नर्मदेश्वर, जनेऊधारी, सोने और चांदी और पारद शिवलिंग शामिल होते हैं। इनमें से नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और फलदायी मानी जाती है। मान्यता के अनुसार भारत में एक ऐसी नदी है यहां से निकला हर एक पत्थर शंकर का माना जाता है। जी हां, शास्त्रों के अनुसार भारत में एक ऐसी नदी है यहां से निकला हर एक पत्थर शंकर का माना जाता है, तो आइए जानते हैं इस पवित्र नदी के बारे में विस्तार से- 
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ग्रंथों में इस पवित्र नदी को नर्मदा नदी के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि गंगा में नहाने से जो फल मिलता वही फल नर्मदा नदी में स्नान करने से प्राप्त होता है। पुराणों के अनुसार नर्मदा नदी से निकला हर एक पत्थर शिव जी का प्रतीक होता है। यहां से निकले पत्थरों को शिवलिंग के रूप में स्थापित करके, उनकी पूजा की जाती है। नर्मदा से निकले शिवलिंगों को नर्मदेश्वर शिवलिंग कहा जाता है। ये ही नहीं भारत के तकरीबन मंदिरों में इस नदी से निकले पत्थरों को शिवलिंग के रूप में स्थापित किया जाता है।
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पौराणिक शास्त्रों के अनुसार नर्मदा नदी को शिव जी का वरदान प्राप्त है, इसी कारण इससे प्राप्त होने वाले शिवलिंग को पवित्र माना जाता है और ये ही नहीं यहां से निर्मित शिवलिंग को सीधा ही स्थापित किया जा सकता है, इसके प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती है। कहा जाता है कि, जहां नर्मदेश्वर का वास होता है, वहां काल और यम का भय नहीं होता है और वो व्यक्ति समस्त सुखों का भोग करता हुआ शिवलोक तक जाता है। बता दें कि नर्मदा नदी का उल्लेख स्कंद पुराण में किया गया है और हैरान करने वाली बात यह है कि यहां से ॐ लिखे हुए शिवलिंग भी निकलते हैं, जिसे देखने दूर-दूर से लोग यहां आते हैं और महादेव का चमत्कार देख दंग रह जाते हैं।
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इस नदी की खास बात ये है कि ये पूरे देश की एक ही ऐसी नदी है जो पूर्व से पश्चिम की ओर उल्टी दिशा में बहती है और इससे निकलने वाले पत्थर को शिव का स्वरूप माना जाता है। शिव जी ही एक ऐसे देव जिनकी प्रतिमा के साथ-साथ उनकी पूजा शिवलिंग के रूप में भी की जाती है। शिवलिंग को शिव जी का निराकार स्वरुप माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग की उपासना करने से दोनों की ही यानि कि माता पार्वती व भोलेनाथ कू पूजा सम्पूर्ण मानी जाती है।

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