Edited By Lata,Updated: 23 Dec, 2019 04:21 PM
वैसे तो हर एक दिन इंसान को भगवान की पूजा-पाठ में बिताना चाहिए, लेकिन आज की इस भागदौड़ भरी
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वैसे तो हर एक दिन इंसान को भगवान की पूजा-पाठ में बिताना चाहिए, लेकिन आज की इस भागदौड़ भरी लाइफ में किसी के पास भी इतना समय नहीं होता है कि वह दिनभर भगवान का पूजन करता रहे। ऐसे में हर इंसान को एक समय बांध लेना चाहिए, ताकि वह प्रभु के नामों को याद करता रहे ताकि उनकी कृपा को प्राप्त कर सके। इसके साथ ही मंदिर जाकर भगवान के दर्शन करने से इंसान के सारे दुख दूर हो जाते हैं, ये बात तो सब जानते ही हैं। इसलिए मंदिर जाकर भी भगवान के दर्शन करने से व्यक्ति का मन पूरा दिन प्रसन्न रहता है। इसी के साथ ही हमारे देश में बहुत से प्राचीन मंदिर हैं, जिनकी व्याख्या करना बहुत ही अलग बात होगी। उन्ही मंदिर में से आज हम बात करेंगे एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में जहां भगवान की नटराज रूप में पूजा होती है।
तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में चिदंबरम नामक एक मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। ये बहुत ही प्राचीन और प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। मंदिर में भगवान शिव को नटराज के रूप में पूजा जाता है जो आनंद तांडव में भगवान के नृत्य रूप का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदू साहित्य के अनुसार चिदंबरम भारत के पांच सबसे पवित्र शिव मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव ने आनंद नृत्य की प्रस्तुति यहीं की थी, इसलिए इस जगह को 'आनंद तांडव' के नाम से भी जाना जाता है।
मंदिर की विशेषता
नटराज शिव की मूर्ति मंदिर की एक अनूठी विशेषता है। नटराज आभूषणों से लदे हुए हैं, जिनकी छवि अनुपम है। यह मूर्ति भगवान शिव को भरतनाट्यम नृत्य के देवता के रूप में प्रस्तुत करती है। बताया जाता है कि यह उन कुछ मंदिरों में से एक है, जहां शिव को प्राचीन लिंगम के स्थान पर मानवरूपी मूर्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। शिव के नटराज स्वरूप के नृत्य का स्वामी होने के कारण भरतनाट्यम के कलाकारों में भी इस जगह का कुछ ख़ास महत्व है। मंदिर की बनावट इस तरह है कि इसके हर पत्थर और खंभे पर भरतनाट्यम नृत्य की मुद्राएं अंकित हैं। मंदिर की अन्य ख़ासियतों में शुमार है चिदंबरम मंदिर का रहस्य। इस रहस्य को जानने के लिए आपको एक तय राशि यहां देनी पड़ती है।
मंदिर की देख-रेख और पूजा-पाठ पारंपरिक पुजारी करते हैं। हालांकि सारा प्रबंधन श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ावे और दान के रूप में दिए गए धन से ही होता है। मंदिर शिव क्षेत्रम के रूप में भी प्रसिद्ध है। चिदंबरम में दो वार्षिक उत्सवों का बहुत महत्व है।