Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Mar, 2023 07:23 AM
नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। माता का यह रूप देवी पार्वती के अविवाहित रूप को माना जाता है। ब्रह्मचारिणी, ब्रह्म अर्थात तपस्या और चारिणी अर्थात आचरण से मिल कर बना है,
Navratri 2023 Maa Brahmacharini: नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। माता का यह रूप देवी पार्वती के अविवाहित रूप को माना जाता है। ब्रह्मचारिणी, ब्रह्म अर्थात तपस्या और चारिणी अर्थात आचरण से मिल कर बना है, इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। माता ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्र धारण किए हुए, दाहिने हाथ मे जप माला और बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित है। माता के इस स्वरूप में अत्यंत तेज है।
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Who is the goddess Brahmacharini: एक पौराणिक कथा अनुसार, देवी पार्वती ने ऋषि नारद के वचनों से प्रेरित हो कर भगवान शिव से विवाह करने के लिए कई वर्षों तक खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप में कठोर तपस्या की। इस कठिन तपस्या के कारण ही उनको ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है। हजारों वर्षों तक निर्जल और निराहार होने के कारण उनका शरीर एकदम क्षीर्ण हो गया। उनके शरीर से अद्भुत प्रकाश निकलने लगा, जिस को साधारण आंखों से देख पाना असंभव था। ऋषिओं और मुनियों ने इस अदभुत प्रकाश से पृथ्वी के प्राणियों की रक्षा के लिए भगवान शंकर से प्रार्थना की कि वो माता को दर्शन दे कर उनकी मनोकामना पूर्ण करें। तब भगवान शंकर ने माता को दर्शन दे कर उनसे विवाह की स्वीकृति दी।
Puja vidhi of Goddess Brahmacharini: माता की पूजा के लिए सर्वप्रथम माता की मूर्ति को स्थापित करें। फिर अक्षत, रोली, मोली, शहद, दूध, दही और पुष्पों की माला अर्पित करें। माता को कमल का फूल अति प्रिय है। पूजा के समय इस मंत्र का जाप अवश्य करें।
इधाना कदपद्माभ्याममक्षमालाक कमण्डलु । देवी प्रसिदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्त्मा ।।
Significance of Devi Brahmacharini puja: माता की आराधना से जातक अपने स्वाधिष्ठान चक्र को मजबूत कर सकता है। माता व्रती की आराधना से प्रसन्न हो कर उसके जीवन में आए कष्टों को दूर करती है और व्रती के स्वभाव में सदाचार, संयम जैसे गुणों के साथ-साथ उसकी आयु में वृद्धि करती है।