Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Oct, 2024 09:27 AM
Navratri 6th Day: नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है। शास्त्रों में मां कात्यायनी का रूप करुणामयी है। बता दें कि देवी कात्यायनी ने ऋषि कात्यायन के घर जन्म लिया था। इसी वजह से उन्हें कात्यायनी देवी के नाम से जाना...
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Navratri 6th Day: नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है। शास्त्रों में मां कात्यायनी का रूप करुणामयी है। बता दें कि देवी कात्यायनी ने ऋषि कात्यायन के घर जन्म लिया था। इसी वजह से उन्हें कात्यायनी देवी के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों में मां कात्यायनी के स्वरूप का वर्णन मिलता है। मां कात्यायनी का शरीर सोने की तरह सुनहरा और चमकदार है। मां की सवारी सिंह है, 4 भुजाएं हैं। मान्यता है कि जो भक्त मां कात्यायनी की सच्चे मन से पूजा करता है, उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। अगर आप भी मां कात्यायनी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं तो विधिपूर्वक मां कात्यायनी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय व्रत कथा अवश्य करें या कथा को सुने। इस व्रत कथा को सुनने मात्र से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। आज हम आपको बताएंगे मां कात्यायनी की पूजा विधि और व्रत कथा...
Story of Maa Katyayani Vrat मां कात्यायनी व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार देव ऋषि कात्यायन मां दुर्गा के परम उपासक थे। मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए एक बार देव ऋषि कात्यायन ने मां की कठोर तपस्या की। ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर मां प्रकट होकर बोलीं, वत्स जो वर मांगना चाहते हो, मांगों ! मां के इतना कहते ही देव ऋषि ने मां भगवती से वर मांगा और कहा कि मां आप मेरे घर पुत्री के रूप में जन्म लो। देव ऋषि की बात सुनकर मां ने उन्हें वर पूरा होने का वरदान दिया। फिर मां दुर्गा ने देव ऋषि कात्यायन के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। पिता का नाम कात्यायन की पुत्री होने के कारण मां के इस अवतार को कात्यायनी कहा गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि मां कात्यायनी की पूजा भगवान राम और श्री कृष्ण ने भी की थी। मान्यता है कि गोपियों ने श्री कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए माता के इसी रूप की उपासना की थी।
How to worship Maa Katyayani on the sixth Navratri छठे नवरात्रि पर मां कात्यायनी का पूजन कैसे करें
नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की पूजा के लिए समर्पित है।
ऐसे में इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद नीले रंग के वस्त्र धारण करें।
इस दिन मां का श्रृंगार लाल रंग से करें।
इसके बाद विधि-विधान पूर्वक माता कात्यायनी की पूजा करें और उन्हें पीले फूल और शहद अर्पित करें।
विधि विधान से मां कात्यायनी की पूजा करने के बाद उनकी आरती करें और आसपास के सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें।