Navratri 9th Day: नवरात्रि के 9 वें दिन करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, खुल जाएंगे भाग्य के द्वार

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Oct, 2023 10:06 AM

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शारदीय नवरात्रि का त्योहार अब समाप्त होने वाला है और आज यानी 23 अक्टूबर को नवरात्रि का आखिरी दिन है। नवरात्रि के नौवें दिन नवमी मनाई जाएगी। इस दिन को महानवमी और दुर्गा नवमी के नाम से

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शारदीय नवरात्रि का त्योहार अब समाप्त होने वाला है और आज यानी 23 अक्टूबर को नवरात्रि का आखिरी दिन है। नवरात्रि के नौवें दिन नवमी मनाई जाएगी। इस दिन को महानवमी और दुर्गा नवमी के नाम से भी जाना जाता है। नवमी के दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इसी दिन पूजा के साथ हवन और कन्या पूजन किया जाता है। इसके बाद व्रत पारण किया जाता है। वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विधि-विधान के साथ मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से जातक को सभी कार्य में सफलता मिलेती है। साथ ही घर-परिवार में खुशिया आती हैं। तो चलिए जानते हैं महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा कैसे करनी चाहिए। साथ ही जानिए मंत्र और भोग के बारे में- 

Form of Maa Siddhidatri मां सिद्धिदात्री का स्वरूप
मां सिद्धिदात्री का रूप अत्यंत ही परम दिव्य है। मां का वाहन सिंह है और देवी कमल पर भी आसीन होती हैं। इनकी चार भुजाएं हैं, दाहिने ओर के नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा और बाईं ओर के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का फूल है। मां सिद्धिदात्री को देवी सरस्वती का भी स्वरूप माना गया है। मां को बैंगनी और लाल रंग अतिप्रिय होता है। मां सिद्धिदात्री की अनुकंपा से ही शिव जी का आधा शरीर देवी का हुआ और इन्हें अर्द्धनारीश्वर कहा गया।

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Importance of worshiping Mata Siddhidatri माता सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व
इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। इनकी उपासना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। भक्त इनकी पूजा से यश, बल, कीर्ति और धन की प्राप्ति करते हैं। मां भगवती का स्मरण, ध्यान, पूजन हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हुए वास्तविक परमशांतिदायक अमृत पद की ओर ले जाता है।

Method of worship of Mata Siddhidatri माता सिद्धिदात्री की पूजा विधि
सर्वप्रथम कलश की पूजा व उसमें स्थित सभी देवी-देवताओ का ध्यान करना चाहिए। रोली, मोली, कुमकुम, पुष्प चुनरी आदि से मां की भक्ति भाव से पूजा करें। हलुआ, पूरी, खीर, चने, नारियल से माता को भोग लगाएं। इसके पश्चात माता के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इस दिन नौ कन्याओं और एक बालक को घर में भोजन करना चाहिए। कन्याओं की आयु दो वर्ष से ऊपर और 10 वर्ष तक होनी चाहिए और इनकी संख्या कम से कम 9 तो होनी ही चाहिए।

The temple of Mata Mata Siddhidatri is on Nanda Parvat नंदा पर्वत पर है माता सिद्धिदात्री का मंदिर
हिमाचल का नंदा पर्वत माता सिद्धिदात्री का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। मान्यता है कि जिस प्रकार इस देवी की कृपा से भगवान शिव को आठ सिद्धियों की प्राप्ति हुईं, ठीक उसी तरह इनकी उपासना करने से अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है।

Maa Siddhidatri appeared like this ऐसे प्रकट हुई मां सिद्धिदात्री 
कथा में वर्णन है कि जब दैत्य महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवतागण भगवान शिव और भगवान विष्णु के पास पहुंचे। तब वहां मौजूद सभी देवतागण से एक तेज उत्पन्न हुआ और उसी तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ, जिसे मां सिद्धिदात्री कहा जाता है।

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Offer this Bhog to Maa Siddhidatri मां सिद्धिदात्री को लगाएं ये भोग
महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री को नारियल, पंचामृत और पुआ का भोग जरूर लगाएं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन चीजों का भोग लगाने से माता बेहद प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा बरसाती हैं।

Mantras of Maa Siddhidatri मां सिद्धिदात्री के मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ।
ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ।।
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम् ।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम् ।।
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।

Kanya pujan कन्या पूजन
महानवमी के बाद ही नवरात्रि का पावन त्योहार समाप्त हो जाता है। इस दिन विधि-विधान के साथ मां सिद्धिदात्री की पूजा करने और हवन करने के बाद कन्या पूजन करने का विधान है। कन्या पूजन के साथ ही नवरात्रि पर्व का समापन हो जाता है। वहीं नवरात्रि का दसवां दिन विजय दशमी या दशहरा मनाया जाता है।

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सम्पर्क सूत्र- 9005804317

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