Edited By Jyoti,Updated: 22 Apr, 2019 05:24 PM
आप में से बहुत से लोगों ने सुना होगा कि मानव जीवन में रत्नों का बहुत महत्व है। अगर कोई व्यक्ति ज्योतिष विद्वानों की मदद से इन रत्नों को धारण कर लेता है तो उसके जीवन की तमाम परेशानियां खत्म हो जाती हैं।
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आप में से बहुत से लोगों ने सुना होगा कि मानव जीवन में रत्नों का बहुत महत्व है। अगर कोई व्यक्ति ज्योतिष विद्वानों की मदद से इन रत्नों को धारण कर लेता है तो उसके जीवन की तमाम परेशानियां खत्म हो जाती हैं। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि न्याय देवता कहे जाने वाले शनिदेव के प्रिय रत्न के नीलम के बारे में।
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो रत्नों का प्रभाव धारण करने से व्यक्ति के जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। बता दें कि प्रत्येक ग्रह के लिए कुछ खास रत्न बताए गए हैं, जो उस ग्रह की दशा को ठीक रखने में मददगार साबित होते हैं।
कुछ ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि सभी नौ ग्रहों में से सबसे अधिक दिनों तक शनि का प्रकोप रहता है। इनसे बचने के लिए ज्योतिष में नीलम रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है।
इस रत्न को शनिवार के दिन मध्यमा यानि (बीच वाली) उंगली में धारण किया जाता है। इसके साथ ही इस पहननी की विशेष विधि होती है। कहा जाता है कि जब भी नीलम धारण करने से पहले हल्का सा उस पर सरसों का तेल लगाएं।
फिर शनिदेव का शनि स्तोत्र पढ़ें, उसे जल से शुद्ध करें। शनि स्त्रोत का पाठ करने से बाद नीले रंग के कपड़े में नीलम को अच्छे से लपेट लें। फिर नीलम रत्न के निचले भाग में जहां नुकीला बना होता है, वहां पर हल्का सा कपड़ा काट लें और शनिवार को इसे दाहिनी बाजू बांध लें, इसे पूरे एक सप्ताह के बांधें रखें। परंतु अगर ऐसा लगे कि इसे बांधने से कुछ अच्छा नहीं हो रहा या कुछ अजीब सा लग रहा है तो इसे धरण न करें।
तो वहीं अगर ये लगे कि एक सप्ताह पूरा चैन से गुज़रा है, अच्छे से बीता, सबकुछ अच्छा रहा या कोई सकारात्मक संकेत मिले तो नीलम को आगे भी धारण करें। कहा जाता है कि यह रत्न दुश्मन के चालों से भी व्यक्ति को सावधान करता है और अपने रंग को फीका कर के स्पष्ट चेतावनी देता है। जिससे हम बच सकते हैं।