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भगवान शिव की तरह ही इन मंदिरों के रहस्य भी हैं बेहद अद्भुत, करें दर्शन

Edited By Jyoti,Updated: 12 Jul, 2022 01:35 PM

neelkanth mahadev temple

श्रावण मास आरंभ होने वाला है, कुछ लोग पूर्णिमा से इसका आरंभ मानते हैं तो कुछ लोग संक्रांति से। बता दें पूर्णिमा इस बार 13 जुलाई को जिसके अनुसार श्रावण का मास 14 जुलाई से आरंभ होगा तो वहीं संक्रांति से नया मास का आंरभ मानने वाले लोगों के लिए

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श्रावण मास आरंभ होने वाला है, कुछ लोग पूर्णिमा से इसका आरंभ मानते हैं तो कुछ लोग संक्रांति से। बता दें पूर्णिमा इस बार 13 जुलाई को जिसके अनुसार श्रावण का मास 14 जुलाई से आरंभ होगा तो वहीं संक्रांति से नया मास का आंरभ मानने वाले लोगों के लिए शिव जी का प्रिय मास श्रावण मास 16 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दौरान शिव जी की पूजा का अत्यधिक महत्व होता है। तो वहीं शिव भक्त इस दौरान जहां एक तरफ कांवड़ यात्रा पर जाते हैं तो वहीं बहुत से लोग श्रावण मास में शिव जी की कृपा पाने के लिए देश भर में स्थित इन्हें समर्पित मंदिरों आदि में जाते हैं। ऐसे में अगर आप भी श्रावण मास में इनके किसी प्रसिद्ध मंदिर में जाने का सोच रहे हैं तो चलिए आपको बताते हैं शिव जी के 2 ऐसे मंदिरों के बारे में जिनका रहस्य शिव जी की तरह अद्भुत है। जी हां, आज हम आपको शिव जी के बेहद अनोखे व रहस्यमयी मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं।
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यहां जानें कहां हैं शिव जी के प्राचीन व रहस्यमयी मंदिर - 
नीलकंठ महादेव- जहां शिव जी ने विष ग्रहण किया
उत्तराखंड के गढ़वाल में हिमालय पर्वतों के तल में बसे धार्मिक स्थल ऋषिकेश में नीलकंठ महादेव मंदिर प्रमुख पर्यटन स्थल है। भगवान शिव को समर्पित यह ऋषिकेश के सबसे पूज्य मंदिरों में से एक है जो लगभग 5500 फुट की ऊंचाई पर स्वर्ग आश्रम की पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। मुनि की रेती से नीलकंठ महादेव मंदिर सड़क मार्ग से 50 किलोमीटर और नाव द्वारा गंगा पार करने पर 25 किलोमीटर दूर स्थित है। मान्यता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण किया था। उसी समय उनकी पत्नी पार्वती ने उनका गला दबाया जिससे विष उनके पेट तक न पहुंचे। इस तरह विष उनके गले में बना रहा। विषपान के बाद विष के प्रभाव से उनका गला नीला पड़ गया था। गला नीला पड़ने के कारण ही उन्हें नीलकंठ नाम से जाना जाता है। मंदिर परिसर में पानी का एक झरना है जहां भक्तगण मंदिर के दर्शन करने से पहले स्नान करते हैं। नीलकंठ महादेव मंदिर के शिखर पर बनी नक्काशी देखते ही बनती है।    
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भूतनाथ मंदिर - जहां रुकी थी भगवान शिव की बारात
ऋषिकेश में ही स्थित भूतनाथ मंदिर की बात करें तो यह स्वर्गाश्रम क्षेत्र में पड़ता है। यह मंदिर भगवान शंकर को समर्पित है। मंदिर अपनी सुंदरता और विचित्रता के लिए जाना जाता है, लेकिन उससे कहीं ज्यादा अपने विचित्र और आध्यात्मिक-पौराणिक महत्व ने इस मंदिर को चर्चित किया है। भगवान शिव के विवाह से जुड़ी तमाम किवदंतियां और धार्मिक कथाएं सुनने को मिलती हैं। ऐसी ही एक कथा इस मंदिर को लेकर भी है। कहते हैं कि जब भगवान शंकर माता सती से विवाह करने के लिए बारात लेकर निकले तो उनके ससुर राजा दक्ष ने इसी भूतनाथ मंदिर में भगवान शिव को उनकी बारात के साथ ठहराया था। शिव जी ने अपनी बारात में शामिल सभी देव, गण, भूत और तमाम जीवों के साथ यहीं पर रात बिताई थी। यहां स्थित शिवलिंग के चारों ओर 
10 घंटियां लगी हैं जिनमें से अलग-अलग ध्वनियां निकलती हैं।
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