Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Jul, 2024 12:24 PM
उत्तराखंड की सुंदर वादियां आखिर किसे पसंद नहीं। यहां ऐसे कई इलाके हैं, जो बेहद खूबसूरत हैं
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Nelong Valley: उत्तराखंड की सुंदर वादियां आखिर किसे पसंद नहीं। यहां ऐसे कई इलाके हैं, जो बेहद खूबसूरत हैं। उत्तरकाशी जिले में स्थित नेलांग घाटी भी बेहद मनोरम और सुंदर है। कोई इसे उत्तराखंड का लद्दाख कहता है, तो कोई पहाड़ का रेगिस्तान। हालांकि, कई पर्यटकों का मानना है कि यह जगह लद्दाख से भी बेहतर है। घाटी की ऊंचाई 11,400 फुट है। घाटी उत्तरकाशी जिले में स्थित नेलांग नामक गांव के पास की जगह है। यह गंगोत्री नैशनल पार्क का एक हिस्सा है। इसमें जाड़ गंगा समेत दो नदियां बहती हैं। गंगा भागीरथी से संगम स्थल भैरों घाट पर मिलती है।
Nelang Valley remained closed for 53 years after the Indo-China war भारत-चीन युद्ध के बाद 53 साल बंद रही नेलांग घाटी
1962 में भारत-चीन के बीच युद्ध के बाद घाटी को पर्यटकों के लिए बंद करके आई.टी.बी.पी. के हवाले कर दिया गया था। इलाके में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लगभग 53 साल बाद नेलांग घाटी को पर्यटकों के लिए 2015 में फिर से खोला गया और तब से यह पर्यटकों की पसंद बन गई है। चीन से सटा होने के कारण यह चट्टानी इलाका बिल्कुल लद्दाख, स्पीति और तिब्बत जैसा दिखता है जहां मौसम तो लद्दाख जैसा है ही, साथ ही ऊंची-ऊंची चोटियां भी हैं। पर्यटकों का कहना है कि घाटी को देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि मानो यह तिब्बत का ही प्रतिरूप हो। पहाड़ी पेड़ों के अलावा यहां हिम तेंदुआ और हिमालयन ब्ल्यू शीप देखने को मिल जाती हैं।
Ancient trade route and Gartangli built by the Pathans प्राचीन व्यापारिक मार्ग और पठानों की बनाई गर्तांगली
यह घाटी न केवल सुंदर जगह है बल्कि भारत-चीन के बीच बहुत बड़ा व्यापारिक रास्ता हुआ करता था। पर्यटकों के अनुसार यह घाटी रोमांच पैदा करने वाली है, जिसकी खूबसूरती को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। यहां आने के बाद पर्यटकों को नेलांग घाटी में बना वुडन ब्रिज देखने को मिल सकता है। इस ब्रिज की सबसे खास बात है कि यह कभी भारत-तिब्बत के बीच व्यापार का केंद्र रहा था। 17वीं शताब्दी में पेशावर के पठानों ने समुद्रतल से 11 हजार फुट से अधिक की ऊंचाई पर उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी में हिमालय की खड़ी पहाड़ी को काटकर दुनिया का सबसे खतरनाक रास्ता तैयार किया था। पांच सौ मीटर लंबा लकड़ी से तैयार यह सीढ़ीनुमा मार्ग (गर्तांगली) भारत-तिब्बत व्यापार का साक्षी रहा है। सन् 1962 से पूर्व भारत-तिब्बत के व्यापारी याक, घोड़ा-खच्चर व भेड़-बकरियों पर सामान लादकर इसी रास्ते से आवागमन करते थे। भारत-चीन युद्ध के बाद 10 वर्षों तक सेना ने भी इस मार्ग का इस्तेमाल किया। कई दशकों से उपयोग और रखरखाव न होने के कारण लगभग 150 साल पुरानी गर्तांगली का अस्तित्व मिटने जा रहा था लेकिन इसका जीर्णोद्धार करके 2021 में इसे पर्यटकों के लिए फिर से खोल दिया गया।
The army is on strict vigil in Nelang valley नेलांग घाटी पर है सेना की कड़ी चौकसी
नेलांग घाटी चीन सीमा से लगी है। सीमा पर भारत की सुमला, मंडी, नीला पानी, त्रिपानी, पीडीए व जादूंग अंतिम चौकियां हैं। सामरिक दृष्टि से संवेदनशील होने के कारण इस क्षेत्र को इनर लाइन क्षेत्र घोषित किया गया है। यहां कदम-कदम पर सेना की कड़ी चौकसी है और बिना अनुमति के जाने पर रोक है लेकिन एक समय ऐसा भी था जब नेलांग घाटी भारत-तिब्बत के व्यापारियों से गुलजार रहा करती थी। दोरजी (तिब्बत के व्यापारी) ऊन, चमड़े से बने वस्त्र व नमक लेकर सुमला, मंडी, नेलांग की गर्तांगली से होते हुए उत्तरकाशी पहुंचते थे। तब उत्तरकाशी में हाट (स्थानीय बाजार) लगा करते थे। इसी कारण उत्तरकाशी को बड़ाहाट (बड़ा बाजार) भी कहा जाता है। सामान बेचने के बाद दोरजी यहां से तेल, मसाले, दालें, गुड़, तम्बाकू आदि वस्तुएं लेकर लौटते थे।
आज सुरक्षा कारणों से यहां आने वाले पर्यटकों को केवल नेलांग चैकपोस्ट तक ही जाने की इजाजत है। इसके लिए भी पर्यटकों को प्रशासन से परमिशन लेनी पड़ती है। पर्यटक यहां रात में रुक नहीं सकते। वहीं विदेशी पर्यटकों को जाने की इजाजत अब भी नहीं दी गई। यहां एक दिन में केवल 6 गाड़ियां ही जा सकती हैं।
Hence the name Nelang इसलिए पड़ा नेलांग नाम
नीली नदियों की वजह से ही इस घाटी को नेलांग घाटी कहा जाता है। यहां के नेलांग गांव में पोड़िया जनजाति के लोग रहते हैं, जो आज भी विकास से कोसों दूर हैं।
Other places to visit around Nelang Valley नेलांग घाटी के आसपास घूमने वाली अन्य जगहें
नेलांग घाटी जाने के दौरान आप भैरवी मंदिर, हरसिल घाटी, गंगोत्री धाम, गोमुख ट्रैक, मुखबा विलेज और गंगनानी जा सकते हैं।
How To Reach Nelang Valley नेलांग घाटी कैसे पहुंचे
नेलांग घाटी जाने के लिए सबसे पहले आपको देहरादून पहुंचना होगा। फिर वहां से उत्तरकाशी जाएं, जो यहां से 144 किलोमीटर दूर है। यहां उत्तरकाशी के जिला मैजिस्ट्रेट से परमिशन लेनी होगी और इसके बाद आप भैरों घाटी की यात्रा कर पाएंगे। भैरोंं घाटी के फॉरैस्ट ऑफिस में परमिट दिखाएं और 200 रुपए परमिट फीस जमा करें। अब आप 25 किलोमीटर ड्राइव करके नेलांग घाटी पहुंच सकते हैं। भैरोंं घाटी से नेलांग घाटी तक की सड़क बहुत खतरनाक है। अगर आप यहां जाने की सोच रहे हैं, तो आपके पास अच्छे ग्राऊंड क्लीयरैंस वाले वाहन और अच्छा ड्राइवर होना चाहिए। यहां टू व्हीलर ले जाने की इजाजत नहीं है।