Edited By Prachi Sharma,Updated: 02 Jan, 2025 08:01 AM
हर दिन मंदिर की खोज और इस पर खबरों को सनसनीखेज बनाने के लिए अब संघ के मुखपत्र पांचजन्य ने भी सवाल उठाए हैं। उसने पूछा है कि इस तरह की खबरों और हर दिन उठने वाले विषयों से समाज को क्या संदेश जा रहा है ?
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नई दिल्ली (विशेष) : हर दिन मंदिर की खोज और इस पर खबरों को सनसनीखेज बनाने के लिए अब संघ के मुखपत्र पांचजन्य ने भी सवाल उठाए हैं। उसने पूछा है कि इस तरह की खबरों और हर दिन उठने वाले विषयों से समाज को क्या संदेश जा रहा है ?
एक समाज के तौर पर क्या हम ऐसे विषयों को उठाने और उसके परिणामों के लिए तैयार हैं ?
साथ ही कहा है कि मंदिरों को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना कतई स्वीकार्य नहीं है।
पांचजन्य अपने संपादकीय ‘मंदिरों पर यह कैसा दंगल !’ में लिखता है कि ऐतिहासिकता और आध्यात्मिकता से शून्य, किंतु राजनीतिक स्वार्थ से लबरेज कुछ ऐसे तत्व हैं, जिन्होंने हर गली-मुहल्ले में हिंदू मंदिरों के उद्धार का मुखौटा चढ़ाकर अपनी राजनीति को चमकाना, समुदायों को भड़काना और स्वयं को सर्वोच्च हिंदू चिंतक के रूप में प्रस्तुत करना आरंभ कर दिया है। मंदिरों की खोज को सनसनीखेज बनाकर प्रस्तुत करना संभवत: मीडिया के लिए एक ट्रेंड और इस प्रकार का मसाला बन गया है, जिससे 24 घंटे चलने वाले चैनल और खबर-बाजार का पेट भरता है। लेकिन सवाल यह है कि इससे समाज को क्या संदेश जा रहा है।