Nirjala Ekadashi- निर्जला एकादशी व्रत से करें मनोकामनाएं पूर्ण

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Jun, 2024 06:15 AM

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हिन्दू पंचांग के अनुसार तीसरा माह ज्येष्ठ का होता है | इस माह के शुक्ल पक्ष के दिन निर्जला एकादशी मनाई जाती है। निर्जला एकादशी हिन्दू धर्म के लिए एक विशेष दिन है| साल में सामन्यतः 24 एकादशी आती हैं, अधिक मास होने पर उनकी संख्या 26 तक हो जाती है।...

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हिन्दू पंचांग के अनुसार तीसरा माह ज्येष्ठ का होता है | इस माह के शुक्ल पक्ष के दिन निर्जला एकादशी मनाई जाती है। निर्जला एकादशी हिन्दू धर्म के लिए एक विशेष दिन है| साल में सामन्यतः 24 एकादशी आती हैं, अधिक मास होने पर उनकी संख्या 26 तक हो जाती है। निर्जला एकादशी साल भर में आने वाली सभी एकादशियों में से सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस वर्ष निर्जला एकादशी 18 जून को मनाई जायेगी। अगर व्यक्ति इस दिन निर्जल हो कर पूरे दिन भगवान विष्णु का स्मरण करता है तो उसे पूरे वर्ष में आने वाली सभी एकादशियों का फल मिलता है।

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18 पुराणों में से स्कंद पुराण में एकादशी महात्म्य नाम का अध्याय है, इस में साल भर की सभी एकादशियों की जानकारी दी गयी है। इस अध्याय के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशियों का महत्व बताया है।

एक पुराणिक कथा के अनुसार महर्षि वेद व्यास पांचों पांडव पुत्रों युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल और सहदेव को पुरुषार्थ, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाले एकादशी व्रत का संकल्प करा रहे थे।
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तब भीम ने महर्षि से बोला कि “हे पितामह आप एक माह में दो बार आने वाली एकादशियों के उपवास की बात कर रहे है। यहां मैं तो एक दिन में कई बार भोजन करता हूं| भोजन के बिना मैं एक समय भी नहीं रह सकता हूं। मेरे पेट में अग्नि का वास है, जो ज्यादा अन्न खाने से ही शांत होती है| यदि मैं कोशिश करू तो वर्ष में एक एकादशी का व्रत कर सकता हूं। अतः आप मुझे कोई एक ऐसा व्रत बताएं, जिसके करने से मुझे भी स्वर्ग प्राप्त हो सके।”

तब महर्षि वेद व्यास बोले हे महाबली भीम तुम पूरे वर्ष में आने वाले एकादशियों में व्रत न रख कर सिर्फ ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जल हो कर व्रत रखो तो तुमको सभी एकादशी का फल मिलेगा। इस एक दिन निर्जल व्रत रखने से मनुष्य पापों से मुक्त हो जाता है, उन्हें मृत्यु के समय भयानक यमदूत नहीं दिखाई देंगे, बल्कि भगवान श्री हरि के दूत स्वर्ग से आकर उन्हें पुष्कर विमान पर बैठकर स्वर्ग ले जायेंगे। भीम इस व्रत को रखने को तैयार हो गए, इस वजह से इसको पांडव एकादशी या भीमसेन एकादशी भी कहां जाता है।
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निर्जला एकादशी के दिन सूर्य उदय से पहले उठना चाहिए और प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए और भगवान विष्णु की पीले चन्दन, पीले फल फूल से पूजा करनी चाहिए और भगवान को पीली मिठाई भी अर्पित करनी चाहिए। फिर एक आसन पर बैठ कर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। इस दिन तुलसी और बिल्व पत्र भूल कर भी तोड़ना नहीं चाहिए। एकादशी के दिन चावल नहीं खाने चाहिए | इस से घर में क्लेश होता है। जिस घर में अशांति होती है उस घर में देवी- देवता कृपा नहीं करते हैं। पूजा करने के पश्चात जरूरतमंद लोगों को फल, अन्न, छतरी, जूता, पंखा और शरबत आदि दान करना चाहिए। इस दिन जल भर कर कलश का दान भी किया जाता है। व्रत से प्रसन्न हो कर भगवान विष्णु दीर्घ आयु और मोक्ष का वरदान देते हैं।

आचार्य लोकेश धमीजा
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