Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 May, 2023 07:50 AM
: इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई को रखा जाएगा। निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। निर्जला एकादशी
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Nirjala Ekadashi 2023: इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई को रखा जाएगा। निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। निर्जला एकादशी ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। निर्जला एकादशी में पानी की एक बूंद भी ग्रहण नहीं की जाती है।
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साल भर में 24 एकादशी आती हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण निर्जला एकादशी मानी जाती है। इसे भीमसेन एकादशी भी कहते हैं। निर्जला एकादशी सबसे पवित्र एकादशी मानी जाती है। इस व्रत में एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक जल भी न पीने का विधान होने के कारण इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। इस दिन निर्जल रहकर भगवान विष्णु की आराधना का विधान है। इस व्रत से दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Nirjala Ekadashi Shubh muhurat निर्जला एकादशी शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, निर्जला एकादशी 31 मई को मनाई जाएगी। एकादशी तिथि की शुरुआत 30 मई को दोपहर में 01 बजकर 07 मिनट पर होगी और इसका समापन 31 मई को दोपहर को 01 बजकर 45 मिनट पर होगा। साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण होने जा रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग का समय सुबह 05 बजकर 24 मिनट से लेकर सुबह 06 बजे तक रहेगा। निर्जला एकादशी का पारण 01 जून को किया जाएगा, जिसका समय सुबह 05 बजकर 24 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।
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निर्जला एकादशी पर क्या करें और क्या न करें
निर्जला एकादशी के दिन चावल नहीं बनाने चाहिए।
एकादशी तिथि के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ें। यदि पत्ते बेहद आवश्यक हैं तो आप एक दिन पहले ही पत्तों को तोड़ कर रख सकते हैं।
इसके अलावा निर्जला एकादशी के दिन शारीरिक संबंध बनाने से बचें।
इस दिन घर में प्याज, लहसुन, मांस और मदिरा का सेवन न करें।
साथ ही किसी से लड़ाई-झगड़ा न करें, किसी का बुरा न सोचें, किसी का अहित न करें और न ही क्रोध करें।
![PunjabKesari Nirjala Ekadashi](https://static.punjabkesari.in/multimedia/07_49_146405488nirjala-ekadashi-3.jpg)
Nirjala Ekadashi katha निर्जला एकादशी कथा
महाभारत काल के समय एक बार पाण्डु पुत्र भीम ने महर्षि वेद व्यास जी से पूछा, " हे परम आदरणीय मुनिवर ! मेरे परिवार के सभी लोग एकादशी व्रत करते हैं व मुझे भी व्रत करने के लिए कहते हैं लेकिन मैं भूखा नहीं रह सकता हूं। अत: आप मुझे कृपा करके बताएं कि बिना उपवास किए एकादशी का फल कैसे प्राप्त किया जा सकता है।"
भीम के अनुरोध पर वेद व्यास जी ने कहा, " पुत्र तुम निर्जला एकादशी का व्रत करो, इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। इस दिन अन्न और जल दोनों का त्याग करना पड़ता है। जो भी मनुष्य एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना पानी पिए रहता है और सच्ची श्रद्धा से निर्जला व्रत का पालन करता है, उसे साल में जितनी एकादशी आती हैं, उन सब एकादशी का फल इस एक एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है।" महर्षि वेद व्यास के वचन सुनकर भीम निर्जला एकादशी व्रत का पालन करने लगे और पाप मुक्त हो गए।
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड राष्ट्रीय गौरव रत्न से विभूषित
पंडित सुधांशु तिवारी
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