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सच्चे साथियों को सीने से लगाकर रखें

Edited By Lata,Updated: 28 Nov, 2019 09:34 AM

niti shastra

संत उड़िया बाबा की बड़ी ख्याति थी। लोग अपनी हर तरह की समस्याओं का हल पाने उनके पास आते।

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संत उड़िया बाबा की बड़ी ख्याति थी। लोग अपनी हर तरह की समस्याओं का हल पाने उनके पास आते। एक बार व्यापार में घाटा झेल रहा एक व्यक्ति उनके पास आया और बोला, ''महाराज, कुछ समय पहले तक मेरी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी थी। अच्छा व्यापार चल रहा था, धन बरस रहा था। सब लोग हर पल मुझे घेरे रहते थे। चाटुकारों से मैं हर पल घिरा रहता था। वे मेरे सच्चे साथी होने का दम भरते थे लेकिन आर्थिक संकट के गहराते ही सबने मुझसे कन्नी काट ली है। अब तो लगता है कि मेरा तन और मन दोनों बीमार हो गए हैं। जल्दी ही मुझे सही दिशा नहीं मिली तो मैं मौत के मुंह में चला जाऊंगा।
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उड़िया बाबा बड़े ध्यान से उसकी कहानी सुन रहे थे। उसकी बात सुनकर बाबा कुछ देर मौन रहे, फिर एकाग्र होकर बोले, ''यदि मानव सुख या संपत्ति को निजी वस्तु न मानकर उसे सेवा, परोपकार के रूप में वितरित करने का संकल्प ले तो ईश्वर उससे प्रसन्न होकर स्वयं उसे विपत्ति से बचाने का प्रयास करते हैं। निर्धन व असहायों की सेवा के बदले मिला आशीर्वाद भी व्यक्ति की विपत्ति व दुख को कम करने में मददगार साबित होता है।

कुछ रुक कर बाबा फिर बोले, ''कई बार सुख-संपत्ति, प्रगति एवं लक्ष्मी की कृपा व्यक्ति की आंखों पर ऐसा पर्दा डालती है कि वह उसे वितरित करने को तैयार नहीं होता। यदि तुम नए सिरे से अपने जीवन का प्रारंभ करके मेहनत व लगन से काम करो और धन-दौलत को गरीबों, भूखों एवं जरूरतमंदों में वितरित करने का प्रण करो तो तुम्हें असीम शांति मिलेगी। व्यापारी ने कहा, ''आपने मेरी आंखें खोल दीं। अपने चाटुकारों की बजाय विपत्ति के सच्चे साथियों को मैं हर वक्त अपने सीने से लगाकर रखूंगा। इसके बाद वह संतुष्ट मन से वहां से चला गया।

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