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हर मनुष्य के जीवन में ये गुण होना भी है जरूरी

Edited By Lata,Updated: 30 Dec, 2019 04:16 PM

niti shastra

मनुष्य जीवन विचित्र है और वे अपने जीवन से भी अधिक विचित्र है। एक व्यक्ति अपने विवेक से जब अपने

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मनुष्य जीवन विचित्र है और वे अपने जीवन से भी अधिक विचित्र है। एक व्यक्ति अपने विवेक से जब अपने चारों ओर देखता है और जीवन की अनेक घटनाओं के बारे में एकाग्रचित हो चिंतन करता है तो उसे जीवन की वास्तविक परख होती है और तब उसे पता चलता है कि सामान्य और दैनिक जीवन के भीतर भी एक दूसरा जीवन है। इस जीवन में व्यक्ति द्वंद्व से मुक्त होता है। द्वंद्व से मुक्ति कोई साधारण बात नहीं। जिसे यह उपलब्धि मिली वह फूलों की सुगंध की तरह निर्बाध फैलते हुए, आनंद फैलाते हुए सहज जीवन जीता है। 
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जीवन के गूढ़ रहस्य जानने-समझने के लिए आध्यात्मिक प्रबंधन हर एक मनुष्य के जीवन में होने चाहिएं लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। मनुष्य सोचता है कि वह भौतिक उन्नति के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचने के बाद ही अपना आध्यात्मिक प्रबंधन आरंभ करेगा परन्तु भौतिक उन्नति का सर्वोच्च शिखर एक मृगमरीचिका है। एक शिखर पर पहुंचे नहीं कि दूसरा दूर खड़ा दिखाई देता है। जीवनभर मनुष्य इसी मायाजाल में उलझा रहता है। अकेले भौतिकवाद के अनुसार न तो कभी भौतिकीय उन्नति का शिखर छुआ जा सकता है और न ही इस स्थिति में आध्यात्मिक प्रबंधन जीवन की प्राथमिकता बन पाता है इसलिए भौतिक प्रगति का मोह त्याग मनुष्य को जीवन का आध्यात्मिक पक्ष ग्रहण करना चाहिए। 
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भले ही आध्यात्मिकता शब्द की परिभाषाएं सरल नहीं और साधारण लोगों के लिए इसे दुर्लभ समझा जाता हो परन्तु आध्यात्मिकता का भावनात्मक व्यवहार सभी के जीवन में अवश्य प्रकट होता है। यह व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर है कि वह प्रकृति प्रदत्त मानवीय जीवन के इस आत्मिक उपहार (आध्यात्मिकता) की पहचान कर व इसे अपनाकर अपना लोक-परलोक सुधारता है अथवा इसे जानबूझ कर भुलाते हुए सांसारिक मोह-माया में उलझे रहना चाहता है।

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