Edited By Prachi Sharma,Updated: 30 Jun, 2024 11:25 AM
हिंदू धर्म में ॐ को बहुत ही ज्यादा प्रभावशाली माना गया है। ॐ शब्द में पूरा ब्रह्मांड समाया हुआ है। इस शब्द के बिना न तो कोई मंत्र पूरा होता है और न ही कोई पूजा पूरी मानी जाती है। ॐ का
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Om Chanting: हिंदू धर्म में ॐ को बहुत ही ज्यादा प्रभावशाली माना गया है। ॐ शब्द में पूरा ब्रह्मांड समाया हुआ है। इस शब्द के बिना न तो कोई मंत्र पूरा होता है और न ही कोई पूजा पूरी मानी जाती है। ॐ का उच्चारण करते समय तीन अक्षरों की ध्वनि निकलती है। मान्यता है कि इन तीनों अक्षरों में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश का साक्षात वास होता है। ॐ के जाप को अनिष्टों का समूल नाश करने वाला व सुख-समृद्धि प्रदायक माना गया है लेकिन कई लोग मंत्र बोलते वक्त इस शब्द का सही से उच्चारण नहीं करते जिससे इसका सही लाभ नहीं मिल पाता।
तो आइए जानते हैं कि ॐ जाप की विधि और इससे होने वाले लाभ के बारे में। कहते हैं कि प्रभु की शीघ्र कृपा पाने के लिए मंत्रोच्चारण सबसे सरल और उत्तम उपाय है। ऐसे में आपने देखा होगा कि हर मंत्र का उच्चारण ‘ॐ’ शब्द से हो होता है। 'ॐ' का उच्चारण अत्यंत प्रभावशाली और चमत्कारिक लाभ पहुंचाने वाला माना गया है। ॐ न सिर्फ एक शब्द है बल्कि ध्वनि है। माना जाता है कि नियमित रूप से ॐ का जाप करने से एकाग्रता और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। नियमित तौर पर ॐ का उच्चारण व जाप करने से तनाव और अनिद्रा जैसी समस्याओं से भी मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। इतना ही नहीं ॐ का उच्चारण करने मात्र से ही शारीरिक और मानसिक रूप से शांति प्राप्त होती है। जब ॐ का उच्चारण करते हैं तो पूरे शरीर में कंपन सा होता है, जिससे आपके पूरे शरीर को लाभ पहुंचता है।
इस शब्द का जाप करने से आसपास के वातावरण में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यदि सही प्रकार से पूर्ण ध्यान लगाकर ॐ का जाप किया जाए तो इससे पेट व रक्तचाप से संबंधित समस्याओं में भी लाभ मिलता है। चलिए अब हम आपको ॐ जाप की विधि के बारे में बताते हैं।
सबसे पहले आपको बता दें कि ॐ का उच्चारण प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठकर करना चाहिए। जब हम इसका जाप करते हैं तो बोलते समय उत्पन्न हुई उस ध्वनि से ही हमें कई तरह के फायदे होते हैं इसलिए इसका जाप हमेशा ऐसी जगह पर करना चाहिए जहां कोई शोर शराबा न हो। ॐ का उच्चारण करने से पहले जमीन पर आसन लगाएं और पद्मासन, सुखासन या वज्रासन में बैठें। इसके बाद आंखें बंद करके सांस खींचें और फिर पेट से ॐ की आवाज़ को निकालते हुए सांस छोड़ते चले जाएं। ॐ का उच्चारण करते समय स्वर को जितना ऊंचा रखेंगे और जितनी गहराई से इसे बोलेंगे, आपको इसके उतने ही बेहतर लाभ मिलेंगे। एक बार में कम से कम 108 बार ॐ का उच्चारण करना चाहिए। इसके बाद आप धीरे-धीरे उच्चारण की अवधि बढ़ा सकते हैं।