Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Oct, 2024 03:01 PM
Onion garlic in navratri: शास्त्रों के नियमानुसार, नवरात्रि में सात्विक भोजन ग्रहण करने की सलाह दी गई है लेकिन कई लोग इस दौरान प्याज और लहसुन खाते हैं। जो कि गलत है। व्रती को इस दौरान बिल्कुल भी लहसुन और प्याज से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Onion garlic in navratri: शास्त्रों के नियमानुसार, नवरात्रि में सात्विक भोजन ग्रहण करने की सलाह दी गई है लेकिन कई लोग इस दौरान प्याज और लहसुन खाते हैं। जो कि गलत है। व्रती को इस दौरान बिल्कुल भी लहसुन और प्याज से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। ये ही नहीं ये भी कहा जाता है कि नवरात्रि में प्याज और लहसुन घर में भी नहीं लाने चाहिए। खासतौर पर जहां मां की नियमित रूप से पूजा होती हो। कहते हैं समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान विष्णु ने राहु केतु पर सुदर्शन चक्र से वार किया था। तब उनकी हड्डियों से लहसुन की उत्पत्ति हुई थी और जो खून निकला था उससे प्याज बना था। तभी इसका रंग लाल होता है इसलिए लहसुन और प्याज को तामसिक भोजन में गिना जाता है और धार्मिक कार्य में इनका उपयोग वर्जित होता है। ये नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो भी प्याज और लहसुन खाने से हमारे मन और दिमाग पर बुरा असर पड़ता है, जिस वजह से हमारा ध्यान धार्मिक कामों से हट सकता है।
शास्त्रों के अनुसार लहसुन और प्याज तामसिक भोजन की श्रेणी में आते हैं। यानी इनके सेवन से मन में जुनून, उत्तेजना, कामेच्छा, अहंकार और क्रोध जैसे भाव आते हैं। जबकि नवरात्रि में संयम, शांत, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस कारण नवरात्रि में लहसुन और प्याज के सेवन की मनाही होती है।
प्याज और लहसुन खाने के शरीर में गर्मी बढ़ती है, जिससे मन में कई प्रकार की इच्छाओं का जन्म होता है। इसके अलावा व्रत के समय दिन में सोने को वर्जित माना गया है। ये भोजन शरीर में सुस्ती भी बढ़ाता है। यही कारण है नवरात्रि के 9 दिनों में प्याज और लहसुन नहीं खाया जाता है।
Story of onion and garlic: पौराणिक कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन से अमृत प्राप्त हुआ तो मोहिनी रूप धारण करे हुए भगवान विष्णु जब देवताओं में बांट रहे थे। तभी स्वर्भानु नाम का एक राक्षस देव रूप धारण करके देवताओं की पंक्ति में बैठ गया और धोखे से अमृत का सेवन कर लिया था। तभी सूर्य और चंद्रमा ने उसे देख लिया और यह बात विष्णु जी को बता दी।
भगवान विष्णु को जैसे ही यह मालूम हुआ तो उन्होंने क्रोध में असुर का सर धड़ से अलग कर दिया लेकिन तब तक राक्षस के मुख में गले तक अमृत पहुंच चुका था इसलिए उसका धड़ और सिर अलग होने पर भी वह जीवित रहा जब विष्णु जी ने राक्षस का सिर धड़ से अलग किया तो अमृत की कुछ बूंदें जमीन पर गिर गई जिनसे प्याज और लहसुन उपजे।
प्याज और लहसुन अमृत की बूंदों से उपजे होने के कारण यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं और रोगों को नष्ट करने में सहायक होते हैं लेकिन इनमें मिला अमृत राक्षसों के मुख से होकर गिरा है इसलिए इनमें तेज गंध है। यही वजह है कि राक्षस के मुख से गिरे होने के कारण इन्हें अपवित्र माना जाता है और देवी-देवताओं के भोग में इस्तेमाल नहीं किया जाता।