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‘तमसो मा ज्योतिर्गम्य’ हमारी अनादि परम्परा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Apr, 2020 09:49 AM

our eternal tradition of tamso ma jyotirgamay

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि अंधकार से प्रकाश की ओर हमारी वैदिक सनातन भारतीय परम्परा है, जो अनादि काल से चल रही है।

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कुरुक्षेत्र(पंकेस): गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि अंधकार से प्रकाश की ओर हमारी वैदिक सनातन भारतीय परम्परा है, जो अनादि काल से चल रही है।

वेद ग्रंथों में वर्णित यह सर्वोत्तम प्रार्थना भी मानी गई है। तमसो मा ज्योतिर्गम्य। उदय होते सूर्य को प्रणाम भी हम इसलिए करते हैं क्योंकि रात्रि के अंधकार को समाप्त करके वह हमें नई रोशनी से साक्षात करवाता है और तो और संध्याकाल में दीया जलाकर अथवा बिजली का प्रकाश करते ही हाथ जोड़ते हैं। सिर झुकाते हैं इसलिए क्योंकि रात्रि में होने वाले अंधकार से पूर्व ही वह घर या प्रतिष्ठान में प्रकाश का वातावरण बना देती है।

स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि वैचारिक दृष्टि से देखें तो अज्ञात अंधकार है ज्ञान प्रकाश। दुख-शोक-भय हमें अंधकार जैसे ही लगते हैं तथा सुख-शांति-समृद्धि प्रकाश की तरह। इसी संदर्भ में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आह्वान 5 अप्रैल को रात्रि 9 बजे 9 मिनट के लिए सब विद्युत उपकरण बंद करके जहां आप हैं,वहां की दहलीज या बालकानी में दीया या मोमबत्ती जलाएं।

उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने भी गीता जी के 10वें अध्याय के 11वें श्लोक में संकेत किया है कि मैं अनुग्रह करके जब ज्ञान का दीप जलाता हूं तो वह अज्ञानता के सम्पूर्ण अंधकार को हर लेता है।

सर्वशक्ति मान परमेश्वर से प्रार्थना करें कि शीघ्र ही मेरे देश और पूरे विश्व, पूरी मानवता पर छाया यह अंधकार फिर से नई रोशनी-नए प्रकाश में बदले। 9 बजे 9 ही मिनट इसलिए क्योंकि 9 अपने आप में पूर्णांक है। 9 को कितने से कितनी बार गुणा करें, रहेगा 9 ही। आओ सहयोगी बने।
 

 

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