Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Jul, 2024 11:32 AM
पूजा में पंचामृत का महत्व- हिंदू धर्म में भगवान की पूजा एवं आरती के बाद पंचामृत बांटने की परम्परा सदियों से है। हम पंचामृत को हाथों में लेते हैं और उसका पान करके सिर पर पोंछ लेते हैं परन्तु यह पंचामृत क्या होता है
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Panchamrit: पूजा में पंचामृत का महत्व- हिंदू धर्म में भगवान की पूजा एवं आरती के बाद पंचामृत बांटने की परम्परा सदियों से है। हम पंचामृत को हाथों में लेते हैं और उसका पान करके सिर पर पोंछ लेते हैं परन्तु यह पंचामृत क्या होता है इसका पूजा-पाठ के बाद वितरण का इतना महत्व क्यों है, यह नहीं जानते।
यूं तो हर देवी-देवता से जुड़े विभिन्न प्रकार के प्रसाद एवं भोगों का चलन है परन्तु पंचामृत का इसमें एक अलग ही विशेष स्थान है, चम्मच भर पंचामृत की बूंदें किसी महाप्रसाद से कम नहीं होतीं। इसका महत्व इतना ज्यादा है कि मंदिर में लोग इसके पान के लिए घंटों कतारों में प्रतीक्षा करते हैं। कुछ लोग चरणामृत को पंचामृत भी कहते हैं तथा इसे पंचामृत या चरणामृत कहने के पीछे भी कई गहरे अर्थ छिपे हैं।
पंचामृत यानी पांच पवित्र तत्वों का मिश्रण। दूध, दही, शहद, घृत (घी) और गंगाजल के मिश्रण से बनता है। पंचामृत जिसका प्रसाद के रूप में विशिष्ट स्थान है, इसी से भगवान का अभिषेक भी किया जाता है।
इसे अत्यंत शुभ माना जाता है और पीने में भी स्वादिष्ट होता है। पंचामृत में मिश्रित सभी पदार्थ तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं की पूजा में अनिवार्य रूप से प्रयोग में लाए जाते हैं। वेदानुसार पंचामृत मनुष्य के सफल जीवन का आधार है। इसका पान करते ही ईश्वर आशीर्वाद का वरदान देने के लिए विवश हो जाते हैं। उसके सारे कष्टों का निपटारा हो जाता है।
पंचामृत के पान से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसमें मिश्रित सभी पदार्थों का अपना विशिष्ट महत्व है जिससे संतति, ज्ञान, सुख, र्कीत की प्राप्ति होती है।
Milk दूध- दूध पंचामृत का प्रथम भाग है। दूध प्रतीक है शुद्धता का अर्थात हमारा जीवन दूध की तरह ही निष्कलंक होना चाहिए। दूध से राजसुख, सामाजिक सम्मान, पद प्रतिष्ठा व आरोग्य की प्राप्ति होती है।
Curd दही- दही दूध की भांति सफेद होता है। इसकी विशेषता है कि यह दूसरों को अपने जैसा बनाता है। वहीं दही से उत्तम स्वास्थ्य, सुख-शांति और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
Ghee घी- घी प्रतीक है स्नेह का। सभी से हमारे मधुर संबंध हों, यही भावना है। घी से पारलौकिक ज्ञान, अचल सम्पत्ति, सफल कारोबार व कमलासन लक्ष्मी की कृपा बरसती है।
Honey शहद- शहद मीठा होने के साथ ही शक्तिशाली भी है। शहद के प्रयोग से बेरोजगारी से मुक्ति और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। शहद की विशेषता है कि वह जल में रहते हुए भी आसानी से मिलता नहीं है। इसी प्रकार प्रत्येक मनुष्यों को भी संसार में रहते हुए सांसारिकता से अलग रहना चाहिए। सांसारिक बुराइयों को अपने अंदर समाहित न होने दें अपने गुणों को बनाए रखें।
Ganga jal गंगाजल- गंगाजल का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। इस पवित्र जल का प्रयोग पंचामृत में भी किया जाता है। गंगाजल मोह, लोभ, क्रोध और अहंकार को समेटकर शांत करता है।
Things to keep in mind while using Panchamrit पंचामृत में ध्यान रखने योग्य बातें
पंचामृत जिस दिन बनाएं उसी दिन खत्म कर दें। अगले दिन के लिए न रखें।
पंचामृत हमेशा दाएं हाथ से ग्रहण करें। इस दौरान अपना बायां हाथ दाएं हाथ के नीचे रखें।
पंचामृत ग्रहण करने से पहले उसे सिर से लगाएं फिर ग्रहण करें फिर हाथों को सिर पर न लगाएं।
अगर तुलसी के पत्ते और गंगाजल किसी कारणवश नहीं हैं तो आप पंचामृत उसके बिना भी बना सकते हैं, तुलसी के पत्ते पवित्र होते हैं इसलिए इनका इस्तेमाल किया जाता है।
पंचामृत हमेशा तांबे के पात्र से देना चाहिए। तांबे में रखा पंचामृत इतना शुद्ध हो जाता है कि अनेकों बीमारियों को हर सकता है। इसमें मिले तुलसी के पत्ते इसकी गुणवत्ता को और बढ़ा देते हैं। ऐसा पंचामृत ग्रहण करने से बुद्धि, स्मरण शक्ति बढ़ती है।
पंचामृत का सेवन करने से शरीर रोगमुक्त रहता है।
तुलसी के रस से कई रोग दूर हो जाते हैं और इसका जल मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है।
पंचामृत अमृततुल्य है। इसका नियमित सेवन शरीर को रोगमुक्त रखता है। तुलसी के पत्ते गुणकारी सर्वरोगनाशक हैं। यह संसार की एक सर्वोत्तम औषधि है।
Method of making Panchamrit पंचामृत बनाने की विधि
पंचामृत बनाना बहुत ही सरल है, नीचे दी गई सामग्री का उपयोग कर आप भी आसानी से पंचामृत बना सकते हैं :
Milk दूध-1 कि.ग्रा
Curd दही-2 छोटे चम्मच
Sugar चीनी-स्वादानुसार
Honey शहद-1/2 छोटा चम्मच
Tulsi तुलसी के 8-10 पत्ते
Ganga jal गंगा जल-1 छोटा चम्मच
Dry fruits मेवा- मखाने, चिरौंजी, किशमिश
How is Panchamrit made? कैसे बनता है पंचामृत
एक डोंगे में दही डालकर उसे अच्छे से मिला लें। अब बाकी बची सामग्री को इसमें अच्छे से मिला लें। दूध मिलाने से पहले दही को ऐसे फैंट लें कि उसमें दूध आसानी से मिल जाए।
Benefits of Panchamrit पंचामृत के लाभ
पंचामृत में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होने के कारण हड्डियां मजबूत बनती हैं।
पंचामृत का पान दिमाग को शांत और गुस्से को कम करता है।
पंचामृत से आप हाजमा औैर भूख न लगने की समस्या से मुक्ति पा सकते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार पंचामृत शीतल, पौष्टिक और कफनाशक भी है।
पंचामृत में तुलसी के पत्ते डालने से इसकी रोगनाशक क्षमता और बढ़ जाती है।
Significance of Panchamrit पंचामृत का महात्म्य
हिंदू धर्म में भगवान की आरती के बाद भगवान का पंचामृत दिया जाता है। हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। इसे बहुत ही पवित्र माना जाने के कारण मस्तक से लगाने के बाद इसका सेवन किया जाता है।
Panchamrit Mantra पंचामृत मंत्र- पंचामृत सेवन करते समय निम्र श्लोक पढ़ने का निधान है -
अकालमृत्युहरण सर्वव्याधिविनाशनम् विष्णुपादोदंक (पीत्वा पुनर्जन्म न) विद्यते
भगवान विष्णु के चरणों का अमृतरूपी जल सभी तरह के पापों का नाश करने वाला है। यह औषधि के समान है। अर्थात पंचामृत अकाल मृत्यु को दूर रखता है। सभी प्रकार की बीमारियों का नाश करता है। इसके पान से पुनर्जन्म नहीं होता।