Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Jun, 2023 10:19 AM

एक बार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुछ छात्र गंगा तट पर पहुंचे। वे नौका में बैठकर उधम मचाने लगे। मल्लाह ने इसका विरोध किया, तो उन्होंने
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Pandit Madan Mohan Malviya: एक बार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुछ छात्र गंगा तट पर पहुंचे। वे नौका में बैठकर उधम मचाने लगे। मल्लाह ने इसका विरोध किया, तो उन्होंने उद्दंडता का प्रदर्शन कर नौका को क्षतिग्रस्त कर डाला।

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नौका का मल्लाह दुखी होकर भागा-भागा धर्ममूर्ति पंडित मदन मोहन मालवीय जी महाराज के निवास स्थान पर जा पहुंचा। उसने शोर मचाते हुए कहा, ‘‘आपने गुंडों की जमात खड़ी कर दी है...।’ वह गुस्से में अनियंत्रित होकर अनर्गल प्रलाप कर रहा था।
शोर सुनते ही महामना कमरे से बाहर आए। जब उन्हें पता लगा कि छात्रों ने नौका तोड़ डाली तो वह मल्लाह के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए और बोले, ‘‘भैया, मेरे इन उद्दंड छात्रों की कारस्तानी का दंड मुझे दो, मैं सहन करने को तैयार हूं। मैं तुम्हारी
नौका ठीक करा दूंगा।’’

मालवीय जी जैसी महान विभूति की विनम्रता को देखते ही मल्लाह पानी-पानी हो गया। वह उनके चरणों में गिरकर बोला, ‘‘मैं गुस्से के कारण अपनी जुबान पर नियंत्रण खो बैठा था। पंडित जी मुझे क्षमा करें।’’
