Edited By Prachi Sharma,Updated: 05 Oct, 2024 02:36 PM
पंचांग के अनुसार महीने में दो बार एकादशी का व्रत रखा जाता है। अक्टूबर का महीना शुरू हो चुका है और इसके साथ ही व्रत और त्योहारों की भी शुरुआत हो चुकी है।
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Papankusha Ekadashi 2024: पंचांग के अनुसार महीने में दो बार एकादशी का व्रत रखा जाता है। अक्टूबर का महीना शुरू हो चुका है और इसके साथ ही व्रत और त्योहारों की भी शुरुआत हो चुकी है। अक्टूबर की पहली एकादशी अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाई जाएगी। इस एकादशी को पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस व्रत को करने से भक्तों को मानसिक शांति, भक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पापांकुशा एकादशी का नाम पाप और आंकुश से जुड़ा हुआ है। पाप का अर्थ है पाप, और आंकुश का अर्थ है नियंत्रण। यह माना जाता है कि इस दिन उपासना करने से सभी पापों का नाश होता है और भक्त के जीवन में शांति और सुख की प्राप्ति होती है। इसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर माना जाता है।यह व्रत उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो अपने पिछले पापों के परिणामों से मुक्ति पाना चाहते हैं। तो चलिए ज्यादा देर न करते हुए जानते हैं कि किस दिन रखा जाएगा ये व्रत।
पापांकुशा एकादशी तिथि और मुहूर्त
पंचांग के अनुसार पापांकुशा एकादशी की शुरुआत 13 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 8 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 14 सितंबर को इसका समापन होगा। इस मुताबिक ये व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा।
पापांकुशा एकादशी पूजा मुहूर्त: भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त 4:41 से 5:31 ए.एम तक है।
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:44 से दोपहर 12:30 पी.एम तक है।
पापांकुशा एकादशी शुभ योग
ज्योतिष गणना के अनुसार इस दिन रवि योग का भी निर्माण होने जा रहा है। यह योग 13 अक्टूबर सुबह 6 बजकर 21 मिनट से शुरू होगा और अगले दिन 14 अक्टूबर तक रहेगा। इस दौरान पूजा करने से सभी तरह से पापों से मुक्ति मिलती है।
Papankusha Ekadashi puja method पापांकुशा एकादशी पूजा विधि
पूजा स्थल पर जाकर पहले गणेश जी का स्मरण करें और फिर भगवान विष्णु का स्मरण करें।
इसके बाद दीपक को प्रज्वलित करें और इसे भगवान के समक्ष रखें।
फिर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र पर जल, दूध, दही, और शहद का अभिषेक करें। य
इसके उपरांत भगवान को स्नान कराकर ताजे फूलों से सजाएं।
अंत में भगवान की आरती करें और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
आरती के बाद पूजा के बाद भगवान द्वारा दिए गए प्रसाद को परिवार के सभी सदस्यों के साथ बांटें। इससे सभी को आशीर्वाद प्राप्त होता है।
कथा सुनना या पढ़ना भी इस दिन के व्रत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पापांकुशा एकादशी की कथा सुनने से भक्तों को विशेष पुण्य मिलता है और उनकी भक्ति में वृद्धि होती है।