Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Apr, 2024 11:58 AM
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत ही महत्व माना जाता है। साल में कुल 24 एकादशी तिथियां आती हैं। प्रत्येक एकादशी का अपना खास महत्व होता है और इसी तरह चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि भी
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Papmochani ekadashi 2024- हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत ही महत्व माना जाता है। साल में कुल 24 एकादशी तिथियां आती हैं। प्रत्येक एकादशी का अपना खास महत्व होता है और इसी तरह चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि भी बहुत खास मानी गई है। जिसे पापमोचनी एकादशी कहा जाता है जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि इस व्रत को रखने वाले जातक को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही भगवान विष्णु की कृपा से जीवन के हर मोड़ पर सफलता हासिल होती है।
मान्यताओं के अनुसार मनुष्य जाने-अनजाने में कुछ ऐसे पाप कर बैठता है, जिसके कारण उसे इस जीवन में व अगले जीवन में दंड भोगने पड़ते हैं। ऐसे में इन पापों से बचने के लिए पापमोचनी एकादशी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। कहते हैं इस व्रत का पालन करने से इंसान से अंजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है। साल 2024 में पापमोचिनी एकादशी कब आ रही है और इसका शुभ मुहूर्त और पूजन विधि क्या है, आईए जानते हैं-
वैदिक पंचांग के अनुसार साल 2024 में चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 4 अप्रैल को शाम 04 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 05 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार पापमोचनी एकादशी का व्रत 05 अप्रैल शुक्रवार को रखा जाएगा।
पापमोचनी एकादशी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 6 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 49 मिनट तक है। यदि आप इस मुहूर्त में पूजा न कर पाए तो अभिजित मुहूर्त में भी पूजा कर सकते हैं। इस दिन अभिजित मुहूर्त रहेगा सुबह 11 बजकर 59 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक।
पापमोचनी एकादशी व्रत का पारण समय है 06 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 06 मिनट से सुबह 08 बजकर 37 मिनट तक।
हिंदू धर्म में पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन करने से पापों का नाश होता है और विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। तो चलिए आगे जानते हैं पापमोचनी एकादशी की पूजा विधि-
Worship method of Papmochani Ekadashi पापमोचनी एकादशी की पूजा विधि- पापमोचनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें। अपने घर और पूजा घर को अच्छी तरह साफ करके एक चौकी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें। भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं और पीले फूलों की माला चढ़ाएं। इसके बाद हल्दी या गोपी चंदन का तिलक लगाएं। भगवान विष्णु को मेवे और पंचामृत का भोग लगाएं। भगवान विष्णु का ध्यान करें। पूजा में तुलसी के पत्ते अवश्य शामिल करें और आरती के साथ पूजा समाप्त करें। अगले दिन पूजा के बाद प्रसाद के साथ अपना व्रत खोलें।