Edited By Prachi Sharma,Updated: 26 Jun, 2024 02:45 PM
हर व्यक्ति की जन्म कुंडली अलग-अलग होती हैं। इस वजह से सबको अलग-अलग अपने जीवन में चैलेंजेस का सामना करना पड़ता है। वैसे तो इसके बहुत से कारण हैं लेकिन इसका सबसे मुख्य कारण है माता-पिता के चार्ट
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Parent Child Compatibility; हर व्यक्ति की जन्म कुंडली अलग-अलग होती हैं। इस वजह से सबको अलग-अलग अपने जीवन में चैलेंजेस का सामना करना पड़ता है। वैसे तो इसके बहुत से कारण हैं लेकिन इसका सबसे मुख्य कारण है माता-पिता के चार्ट के साथ बच्चे की कुंडली के साथ एसोसिएशन। माता-पिता और संतान इसका ट्राइंगल बनता है। यह त्रिकोण ही दर्शाता है आपके जीवन में कौन से घटनाक्रम होने हैं। कई बार पेरेंट्स को ऐसा कहते हुए देखा गया है कि जब से बच्चा पैदा हुआ है हमने कभी पीछे मुड़ के नहीं देखा तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि जब से ये बच्चा हमारी जिंदगी में आया तब से हमारा जीवन परेशानियों से भर गया है।
जब भी एक आत्मा पैदा होती है उसके पास उसकी कर्म गति का रिकॉर्ड होता है। ये कर्म गति का सिंद्धांत है कि एक आत्मा उन्हीं पेरेंट्स को चूज करती है जिनके साथ उनकी कर्म गति मैच होती है। ये सब पिछले जन्म का कोई लेना-देना होता है, जिसकी वजह से एक आत्मा संतान बन कर पेरेंट्स के घर में पैदा होती है। एक बच्चे के पैदा होने के बाद उस बच्चे के घटनाक्रम चेंज होने शुरू हो जाते हैं। बच्चे की लाइफ में मां-बाप के वजह से भी चेंज आते हैं।
पेरेंट्स की बात कर तो उनके पांचवें घर संतान का भाव होता है। अब अगर पांचवां घर पीड़ित है तो इनके घर में जब भी बच्चा पैदा होगा तो बच्चे को अपने तरह के कष्ट होंगे।
किसी भी बच्चे के चार्ट में सूर्य पिता होते हैं और चन्द्रमा माता होते हैं। अगर बच्चे की कुंडली में सूरज पीड़ित हैं और उसमें छठे, आठवें या बारहवें घर में सूरज के दुश्मन ग्रह बैठे हुए हैं। इसके बाद इस बच्चे के पैदा होने के पिता को अपने जीवन में बहुत से कष्ट देखने पड़ सकते हैं। पिता की लड़ाईयां शुरू हो जाएंगी इस बच्चे के पैदा होने के बाद। पिता का कोई न कोई काम बंद हो सकता है। आठवें घर में हैं तो पिता की लाइफ में कोई न कोई नया मोड़ आ सकता है।
अब मान लीजिए चन्द्रमा के यदि कोई कष्ट है तो माता के जीवन में कुछ न कुछ परेशानियां आ सकती हैं। इसी के साथ मन भी खराब रहेगा। कई बार ऐसा होता है कुछ बच्चे पैदा होते ही हेल्थ ट्रबल लेकर पैदा होते हैं। बहुत उपाय करने के बाद भी कोई हल निकलता है। ऐसा इस वजह से क्योंकि पेरेंट्स के चार्ट के साथ उस बच्चे के चार्ट को मिलाकर नहीं देखा गया। किसी भी इंसान के चार्ट में जो बेटा होता है वो केतु होता है और बेटी होती है वो बुध होती है। अब मानलीजिए यदि संतान को कोई कष्ट हो रहा है तो उसके माता या पिता के चार्ट में केतु को देखना बहुत जरुरी है। केतु के ऊपर किन ग्रहों का प्रभाव आ रहा है , केतु के आठवें और बारहवें ग्रह में कौन-कौन से ग्रह बैठे हुए हैं। कई संतान का पढ़ाई से ध्यान हट जाएगा, कई बच्चे बड़े चिड़चिड़े हो जाते हैं।
यदि किसी पेरेंट्स का बुध खराब है तो बेटियों के जीवन में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा लोग सही समय पर सही फैसला नहीं ले पाते हैं। ये लोग अगर उत्तरमुखी घर में रह रहे होंगे तो उनके बुध बहुत खराब होंगे। अब उनकी बेटियों के लाइफ में कष्ट तो आएगा लेकिन साथी ही बेटियों की वजह से माता-पिता के जीवन में भी कष्ट आएगा।
किसी भी व्यक्ति की कुंडली में सूरज और शनि एक-साथ होंगे तो उस पुत्र की पिता के साथ नहीं बनेगी या फिर पिता की पुत्र से नहीं बनेगी। यदि आप आप इन चीजों को सिंद्धांत से देखेंगे तो न केवल समझने में सहायता मिलेगी बल्कि हमें इनका हल भी आसानी से मिल जाएगा।