Edited By Prachi Sharma,Updated: 18 Feb, 2025 07:35 AM
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देश में ‘परीक्षा पर चर्चा’ का एक एपिसोड ‘परीक्षा पे चर्चा’ चल रहा है जिसमें देश के प्रधानमंत्री के साथ-साथ अन्य प्रेरक और मार्गदर्शक लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है। ये मार्गदर्शक बच्चों को पूरा ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित करने के लिए प्रेरित करेंगे।
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जालंधर (इंट): देश में ‘परीक्षा पर चर्चा’ का एक एपिसोड ‘परीक्षा पे चर्चा’ चल रहा है जिसमें देश के प्रधानमंत्री के साथ-साथ अन्य प्रेरक और मार्गदर्शक लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है। ये मार्गदर्शक बच्चों को पूरा ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित करने के लिए प्रेरित करेंगे।
चर्चा के इस पांचवें एपिसोड में देश के प्रसिद्ध और बेहद लोकप्रिय आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु मौजूद थे। उन्होंने कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आप ‘अपने स्मार्टफोन से भी अधिक स्मार्ट हो सकते हैं’ और परीक्षा के दौरान इससे बच सकते हैं और इस बचे हुए समय का उपयोग अपनी पढ़ाई में कर सकते हैं।
तनाव को किया जा सकता है नियंत्रित
सद्गुरु ने अपनी चर्चा में कहा कि बच्चों को अपने मन और स्वास्थ्य का अच्छे से ख्याल रखना चाहिए क्योंकि इन सबके बिना आप मन लगाकर और आंतरिक संतुलन के साथ परीक्षा की तैयारी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि आप तनाव को नियंत्रित कर सकते हैं और पूरी आत्मनिर्भरता के साथ परीक्षा का सामना कर सकते हैं।
अगर आपने अपना सिलेबस पूरा नहीं किया है तो चिंता न करें। अपने आप पर नियंत्रण मत खोइए। अगर आप जो हो रहा है उससे परे सोच सकते हैं, तो आप कुछ भी कर सकते हैं। अगर आप तनाव में हैं, तो इसका मतलब है कि दिमाग को ऑयल नहीं मिल रहा है। आप अपने दिमाग की ऑयलिंग करें।
पाठ्य पुस्तकें कोई चुनौती नहीं
सद्गुरु ने कहा कि चाहे आप कोई भी हों। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने अब तक स्कूल में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। मैं आपको आपकी बुद्धिमत्ता के लिए बता रहा हूं कि पाठ्य पुस्तकें कोई चुनौती नहीं हैं।
आप इसे एक खास तरीके से अपनाकर अनावश्यक रूप से अपने लिए मुश्किल बना रहे हैं। आप खेल-खेल में क्यों नहीं सीख सकते? अगर आप इसे खेल-खेल में करेंगे, तो आपकी पाठ्य पुस्तक चुनौती नहीं बनेंगी।
अगर आप घास या मोटरसाइकिल को देखते हैं, तो आपको सोचना चाहिए कि इसका भौतिकी, गणित और रसायन विज्ञान क्या है। शिक्षा आपको बुनियादी बातें और अंततः जीवन तक पहुंच प्रदान करती है। इस पहुंच को पाने के लिए एक पहलू सक्रिय गतिशील बुद्धि है।
व्यायाम से बेहतर होता है काम
ध्यान की शक्ति पर जोर देते हुए आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि अध्ययनों से पता चला है कि जब ‘शाम्भवी महामुद्रा’ का अभ्यास किया जाता है तो मस्तिष्क का एक बड़ा हिस्सा प्रकाशित हो जाता है। ऐसा ही होना चाहिए कि सब कुछ प्रकाशित हो। जितना अधिक आप अपनी बुद्धि को सक्रिय करेंगे, उतनी ही अधिक आपकी पहुंच उन सभी चीजों तक होगी जो आप देखते हैं।
यदि आपका शरीर अच्छी तरह से व्यायाम करता है, तो आप बेहतर कार्य कर सकते हैं। यह सोचना कि क्या मैं इस व्यक्ति या उस व्यक्ति जितना बुद्धिमान हूं ? ऐसी कोई चीज नहीं है। यह एक तमाशा है जो दुनिया में फैलाया गया है। हर कोई चमक सकता है और ऐसी चीजें कर सकता है जिनकी दूसरे कल्पना नहीं कर सकते।