Paryushan Parv 2024: जैन धर्म का महान पर्व पर्युषण 1 सितम्बर से शुरू

Edited By Prachi Sharma,Updated: 29 Aug, 2024 01:04 PM

paryushan parv

जैन धर्म के पर्युषण पर्व मनुष्य को उत्तम गुण अपनाने की प्रेरणा देते हैं। इन दिनों जैन धर्मावलंबी व्रत, तप, साधना कर आत्मा की शुद्धि का प्रयास करते हैं और स्वयं के पापों की आलोचना

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

लुधियाना (भूपेश): जैन धर्म के पर्युषण पर्व मनुष्य को उत्तम गुण अपनाने की प्रेरणा देते हैं। इन दिनों जैन धर्मावलंबी व्रत, तप, साधना कर आत्मा की शुद्धि का प्रयास करते हैं और स्वयं के पापों की आलोचना करते हुए भविष्य में उनसे बचने की प्रतिज्ञा करते हैं। 

इस पर्व का मुख्य उद्देश्य आत्मा को शुद्ध बनाने के लिए आवश्यक उपक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना होता है। जैन धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है पर्युषण महापर्व।  श्वेतांबर व दिगंबर समुदाय के धर्मावलंबी भाद्रपद मास में पर्युषण महापर्व की साधना-आराधना करते हैं। श्वेतांबर समुदाय के 8 दिवस को पर्युषण के नाम से जाना जाता है जो 1 सितम्बर से प्रारम्भ होंगे तथा 8 सितम्बर को संवत्सरी महापर्व (क्षमा पर्व) के दिवस के साथ पूर्ण होंगे। 

वहीं, दिगम्बर समुदाय के 10 दिवसों को दसलक्षण पर्व के नाम से जाना गया है जो 8 सितम्बर से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी 17 सितम्बर को समाप्त होंगे। 
इस संबंधी श्रमण डा. पुष्पेन्द्र ने बताया कि चातुर्मास प्रारंभ के 49 या 50वें दिवस पर संवत्सरी पर्व की साधना की जाती है। इसी क्रम में देश के विविध अंचलों चातुर्मासरत श्रमण-श्रमणियों के पावन सान्निध्य में जैन धर्मावलम्बी तप, त्याग, साधना, आराधना पूर्वक इस महापर्व को मनाएंगे।

इन दिवसों में जैन अनुयायियों के मुख्यत: 5 प्रमुख अंग हैं स्वाध्याय, उपवास, प्रतिक्रमण, क्षमायाचना और दान। पर्युषण पर्व के दौरान प्रतिदिन सर्वप्रथम जैन आगम सूत्र, अन्तकृत दशांग सूत्र का प्रतिदिन मूल व भावार्थ के साथ वाचन पश्चात् स्वाध्याय के विशिष्ट गुणों, सेवा, संयम, साधना, ध्यान, सदव्यवहार पर प्रवचन होंगे। 

हमारी आत्मा में भी कषायों अर्थात क्रोध, मान, माया, लोभ का अंधेरा छाया हुआ है। इसे पर्युषण के पवित्र प्रकाश से दूर किया जा सकता है। प्रतिदिन सुबह व सायंकाल प्रतिक्रमण होंगे जो आत्मशुद्धि के लिए नितांत आवश्यक हैं। 8वें दिवस संवत्सरी महापर्व पर विस्तृत स्व आलोचना का पाठ होगा जिसमें जीवन भर के अंदर होने वाली पाप प्रवृत्तियों का उल्लेख करते हुए आत्मालोचना कर ‘मिच्छामि दुक्कड़म’ किया जाएगा। 


 

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!